इक सूफी कलाम पेश है,
शाम ढल जाये हो जब रात,
सजन बहुत याद आये,
जब दूतों से होगी मुलाकात,
सजन बहुत याद आये।
सजन बहुत याद .............................
याद आये साजन का पहला प्यार वो,
वादें कसमें न भूले करार इकरार वो,
जब मालूम पड़े अपनी औकात।
सजन बहुत याद .............................
चीख चीख कर फिर सब को बुलाये रे,
कैसी मज़बूरी कोई पास नही आये रे,
रैना" पूछे न कोई भी तेरी बात।
सजन बहुत याद ............................."रैना"
शाम ढल जाये हो जब रात,
सजन बहुत याद आये,
जब दूतों से होगी मुलाकात,
सजन बहुत याद आये।
सजन बहुत याद .............................
याद आये साजन का पहला प्यार वो,
वादें कसमें न भूले करार इकरार वो,
जब मालूम पड़े अपनी औकात।
सजन बहुत याद .............................
चीख चीख कर फिर सब को बुलाये रे,
कैसी मज़बूरी कोई पास नही आये रे,
रैना" पूछे न कोई भी तेरी बात।
सजन बहुत याद ............................."रैना"
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