अँधेरे में उजाले की तलाश करते रहे,
हम महफ़िल में चिराग़ बन जलते रहे.
वो पत्थर दिल फिर भी नही पिगले,
हम तो शमा के मान्निद पिगलते रहे.
साकी ने पिलाया है कुछ जाम ऐसा,
हम तो निरंतर गिरते संभलते रहे.
बेशक मंजिल है बिल्कुल पास मेरे,
फिर भी हम दिन रात चलते रहे.
मुझे लूटने वाला न कोई और है,
हम तो खुद को खुद ही छलते रहे.
हमने घबरा के हार नही मानी,
वैसे उम्मीद के सूरज ढलते रहे.
"रैना" दिल पे लगे जख्म लाखों,
फिर भी अरमां के बच्चे पलते रहे. "रैना"
हम महफ़िल में चिराग़ बन जलते रहे.
वो पत्थर दिल फिर भी नही पिगले,
हम तो शमा के मान्निद पिगलते रहे.
साकी ने पिलाया है कुछ जाम ऐसा,
हम तो निरंतर गिरते संभलते रहे.
बेशक मंजिल है बिल्कुल पास मेरे,
फिर भी हम दिन रात चलते रहे.
मुझे लूटने वाला न कोई और है,
हम तो खुद को खुद ही छलते रहे.
हमने घबरा के हार नही मानी,
वैसे उम्मीद के सूरज ढलते रहे.
"रैना" दिल पे लगे जख्म लाखों,
फिर भी अरमां के बच्चे पलते रहे. "रैना"
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