सूख गये है मेरी आँखों के कुएं अब गम या ख़ुशी में पानी नही छलकता. "रैना"
दिल का कसूर है या आँखों का मगर मेरा जीना मुशिकल हो गया है."रैना"
टूटते सितारें को देखकर सोचता हूँ मेरी क्या औकात. "रैना"
मुझे वहां जाने के लिये मत कह जहा से मै लौट कर नही आ सकता. "रैना"
दिल का कसूर है या आँखों का मगर मेरा जीना मुशिकल हो गया है."रैना"
टूटते सितारें को देखकर सोचता हूँ मेरी क्या औकात. "रैना"
मुझे वहां जाने के लिये मत कह जहा से मै लौट कर नही आ सकता. "रैना"