ओ मेरे देश की धरती,
अनाज उगले करोड़ो टन,
जनता फिर भी भूखी मरती.
ओ मेरे देश की धरती--------
अब दूर दूर कही खेतों में,वो बैल नजर नही आते है,
फिर जीवन की क्या बात करे,इंसां मूली से काटे जाते है,
कही धर्म के नाम लड़े जनता,कही जाति के नाम है लड़ती.
औ मेरे देश की धरती---------------
आ दूजे देश से आतंकी, निर्दोषों का खून बहाते है,
फिर भी अफजल से आतंकवादी,बंद जेल में पूजे जाते है,
अब खोले खून शहीदों का, क्यों सरकार ये कुछ नही करती.
ओ मेरे देश की धरती-------------
बेलगाम हुई बेरोक टोक, महंगाई छलांगे लगाती है,
दुखी परेशान सहमी जनता,भर पेट न खाना खाती है.
वादे झूठे अश्वासन है,अब बात न कोई बनती.
अ मेरे देश की धरती------------------
अब फैशन का है भूत चढ़ा,हम लाँघ गये हद है सारी,
सब भूले अपनी सस्कृति,नगे नच रहे है नर,नारी,
कैसे माफ़ करे भारत माता,"रैना" करे गलती पर गलती.
ओ मेरे देश की धरती-------------------------
राजिंदर "रैना"
Monday, July 19, 2010
Thursday, July 8, 2010
रिमझिम बूंदों में नहा कर देखो,
पेड से टपकता आम खा कर देखो,
मजा जन्नत का आ जाये गा.
बाग में कू कू करती हो कोयल,
साथ में उसके गुनगुना कर देखो,
याद फिर कोई आ जाये गा.
राजेंदर" रैना"
बरसात क्या है? बिछुडो के आसूं.
इक मुद्दत से धरती को मिलने के लिए तरस रहा है आसमान,
दिल हल्का करने को छलका देता है आसूं.
राजिंदर"रैना"
पेड से टपकता आम खा कर देखो,
मजा जन्नत का आ जाये गा.
बाग में कू कू करती हो कोयल,
साथ में उसके गुनगुना कर देखो,
याद फिर कोई आ जाये गा.
राजेंदर" रैना"
बरसात क्या है? बिछुडो के आसूं.
इक मुद्दत से धरती को मिलने के लिए तरस रहा है आसमान,
दिल हल्का करने को छलका देता है आसूं.
राजिंदर"रैना"
Tuesday, July 6, 2010
तबाही
मै तो पानी हूँ, हर हाल रवा हो जाऊ गा,
मै सितारा नही,जो टूट कर फना हो जाऊ गा.
मौसम क्या तबाही है,आसूं रुकने का नाम नही लेते,
वैसे ये खता हमारी है,हम किसी को इल्जाम नही देते.
मै सितारा नही,जो टूट कर फना हो जाऊ गा.
मौसम क्या तबाही है,आसूं रुकने का नाम नही लेते,
वैसे ये खता हमारी है,हम किसी को इल्जाम नही देते.
भारत माँ की पुकार
देश प्रेमियों के लिए खास रचना
सोये हुए मन में आजादी की अलख जगाने का,
अब फिर वक्त आ गया है, भारत माँ को आजाद करवाने का.
बेशक गौरे अंग्रेजों को हमने भगा दिया,
मगर काले अंग्रेजों ने माँ को बंदी बना लिया.
काले अंग्रेजों से माँ को छुड़ाने का.
अब फिर वक्त आ--------------------
छीना झपटी, लूट मार नंगा भ्रष्टाचार है,
द्रोपदी का चीर हरण होता बीच बाजार है,
दुशासन से द्रोपदी को बचाने का.
अब फिर वक्त आ---------------
मतलब के दरिया में सारे असूल बह गये,
भाषणों तक सीमित अब हमारे नेता रह गये,
ऐसे झूठे नेताओ को सबक सिखाने का.
अब फिर वक्त आ-----------------
माँ की आबरू पर अब कई वार हो गए,
देश के मसीहा ही गद्दार हो गये,
बेनकाब कर गद्दारों को भगाने का.
अब फिर वक्त आ--------------
रोती बिलखती माँ मेरी खड़ी की खड़ी रह गेई,
रामराज्य की कल्पना धरी ki धरी रह गेई,
शहीदों के सपनों का देश बनाने का.
अब फिर वक्त आ -------------
उठो वीर जवानों भारत माँ की पुकार सुनो,
रंग लो बसंती चोला और आजादी की राह चुनो,
"रैना" अपने कदम पीछे नही हटाने का.
अब फिर वक्त आ---------------
राजिंदर"रैना"
सोये हुए मन में आजादी की अलख जगाने का,
अब फिर वक्त आ गया है, भारत माँ को आजाद करवाने का.
बेशक गौरे अंग्रेजों को हमने भगा दिया,
मगर काले अंग्रेजों ने माँ को बंदी बना लिया.
काले अंग्रेजों से माँ को छुड़ाने का.
अब फिर वक्त आ--------------------
छीना झपटी, लूट मार नंगा भ्रष्टाचार है,
द्रोपदी का चीर हरण होता बीच बाजार है,
दुशासन से द्रोपदी को बचाने का.
अब फिर वक्त आ---------------
मतलब के दरिया में सारे असूल बह गये,
भाषणों तक सीमित अब हमारे नेता रह गये,
ऐसे झूठे नेताओ को सबक सिखाने का.
अब फिर वक्त आ-----------------
माँ की आबरू पर अब कई वार हो गए,
देश के मसीहा ही गद्दार हो गये,
बेनकाब कर गद्दारों को भगाने का.
अब फिर वक्त आ--------------
रोती बिलखती माँ मेरी खड़ी की खड़ी रह गेई,
रामराज्य की कल्पना धरी ki धरी रह गेई,
शहीदों के सपनों का देश बनाने का.
अब फिर वक्त आ -------------
उठो वीर जवानों भारत माँ की पुकार सुनो,
रंग लो बसंती चोला और आजादी की राह चुनो,
"रैना" अपने कदम पीछे नही हटाने का.
अब फिर वक्त आ---------------
राजिंदर"रैना"
Monday, July 5, 2010
भारत माँ
देश प्रेमियों के लिए खास रचना
सोये हुए मन में आजादी की अलख जगाने का,
अब फिर वक्त आ गया है, भारत माँ को आजाद करवाने का.
अब फिर वक्त आ ------------------
बेशक गौरे अंग्रेजों को हमने भगा दिया,
मगर काले अंग्रेजों ने माँ को बंदी बना लिया.
काले अंग्रेजों से माँ को छुड़ाने का.
अब फिर वक्त आ--------------------
छीना झपटी, लूट मार नंगा भ्रष्टाचार है,
द्रोपदी का चीर हरण होता बीच बाजार है,
दुशासन से द्रोपदी को बचाने का.
अब फिर वक्त आ---------------
मतलब के दरिया में सारे असूल बह गये,
भाषणों तक सीमित अब हमारे नेता रह गये,
ऐसे झूठे नेताओ को सबक सिखाने का.
अब फिर वक्त आ-----------------
माँ की आबरू पर अब कई वार हो गए,
देश के मसीहा ही गद्दार हो गये,
बेनकाब कर गद्दारों को भगाने का.
अब फिर वक्त आ--------------
रोती बिलखती माँ मेरी खड़ी की खड़ी रह गेई,
रामराज्य की कल्पना धरी- धरी रह गेई,
शहीदों के सपनों का देश बनाने का.
अब फिर वक्त आ -------------
उठो वीर जवानों भारत माँ की पुकार सुनो,
रंग लो बसंती चोला और आजादी की राह चुनो,
"रैना" अपने कदम पीछे नही हटाने का.
अब फिर वक्त आ---------------
राजिंदर"रैना"
सोये हुए मन में आजादी की अलख जगाने का,
अब फिर वक्त आ गया है, भारत माँ को आजाद करवाने का.
अब फिर वक्त आ ------------------
बेशक गौरे अंग्रेजों को हमने भगा दिया,
मगर काले अंग्रेजों ने माँ को बंदी बना लिया.
काले अंग्रेजों से माँ को छुड़ाने का.
अब फिर वक्त आ--------------------
छीना झपटी, लूट मार नंगा भ्रष्टाचार है,
द्रोपदी का चीर हरण होता बीच बाजार है,
दुशासन से द्रोपदी को बचाने का.
अब फिर वक्त आ---------------
मतलब के दरिया में सारे असूल बह गये,
भाषणों तक सीमित अब हमारे नेता रह गये,
ऐसे झूठे नेताओ को सबक सिखाने का.
अब फिर वक्त आ-----------------
माँ की आबरू पर अब कई वार हो गए,
देश के मसीहा ही गद्दार हो गये,
बेनकाब कर गद्दारों को भगाने का.
अब फिर वक्त आ--------------
रोती बिलखती माँ मेरी खड़ी की खड़ी रह गेई,
रामराज्य की कल्पना धरी- धरी रह गेई,
शहीदों के सपनों का देश बनाने का.
अब फिर वक्त आ -------------
उठो वीर जवानों भारत माँ की पुकार सुनो,
रंग लो बसंती चोला और आजादी की राह चुनो,
"रैना" अपने कदम पीछे नही हटाने का.
अब फिर वक्त आ---------------
राजिंदर"रैना"
Subscribe to:
Posts (Atom)