Thursday, July 8, 2010

रिमझिम बूंदों में नहा कर देखो,


पेड से टपकता आम खा कर देखो,

मजा जन्नत का आ जाये गा.

बाग में कू कू करती हो कोयल,

साथ में उसके गुनगुना कर देखो,

याद फिर कोई आ जाये गा.

राजेंदर" रैना"

बरसात क्या है? बिछुडो के आसूं.

इक मुद्दत से धरती को मिलने के लिए तरस रहा है आसमान,

दिल हल्का करने को छलका देता है आसूं.

  राजिंदर"रैना"

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