Saturday, August 31, 2013

दोस्तों ये 14 मात्रा की गजल है इस बारे
sufi "raina" group me पूरी चर्चा होगी मेरी
तरह सीखने के इच्छुक दोस्त इस में भाग ले सकते है

जैसी कटती कटने दो,
गम के बादल छटने दो।
तेरे   बारे   सोचे गे,
पहले चिलमन हटने दो।
रिमझिम बरसे दिल तरसे,
अब तो बादल फटने दो।
बहना कहती भाई से,
मां को अब मत बटने दो।
नफरत ने सब कुछ छीना,
इस खाई को पटने दो।
बिन उल्फत जीवन सूना,
अब अमृत को चखने दो।
मशहूरी हो जायेगी,
अख़बारों में छपने दो।
"रैना"सब कुछ  मत कहना,
कुछ तो दिल में रखने दो।  राजेन्द्र रैना "गुमनाम"
सुप्रभात जी   ………जय जय मां


दोस्तों आप की महफ़िल में फिर आया दिल लेकर 

दौर आया कुछ ऐसा बहकी हुई जवानी है,
बच्चों की नादानी मां बाप की परेशानी है।
सवाल करने से पहले ही करारा जवाब देते,
कहने को तो नई पीड़ी बहुत ही सयानी है।
इश्क क्या न जाने पर रंगे इश्क के रंग में,
तभी मायूस रांझा हीर की आंखों में पानी है।
हवा में उड़ने वालो सोच समझ लो इतना,
इक दिन मिट्टी ये मिट्टी में मिल जानी है।
खान पान रहन सहन में इतना फर्क आ गया,
दहोती बूढ़ी लगती जवां नजर आती नानी है।
बर्तन खड़कना अब तो आम सी बात हो गई,
अफ़सोस हर घर की अब तो यही कहानी है। 
"गुमनाम" लोग जले पर नमक छिड़कते है,
दर्दे दिल की दास्ता न किसी को सुनानी है। राजेन्द्र रैना गुमनाम    

daur hi kuchh aesa

दौर आकुछ ऐसा बहकी हुईया  जवानी है,
बच्चों की नादानी मां बाप की परेशानी है।
अब सवाल से पहले ही करारा जवाब देते,
कहने को तो नई पीड़ी बहुत ही सयानी है।
इश्क क्या जाने न पर रंगे इश्क के रंग में,
तभी मायूस रांझा हीर की आंखों में पानी है।
हवा में उड़ने वालो सोच समझ लो इतना,
इक दिन मिट्टी ये मिट्टी में मिल जानी है।
खान पान रहन सहन में इतना फर्क आ गया,
दहोती बूढ़ी लगती और जवां लगती नानी है।   

Friday, August 30, 2013

आज के लोग तो शरमाते नही
बात दिल की मगर बताते नही।
दिल में लगा रखते अक्सर गांठें,
दावा करते कुछ भी छुपाते नही।
 जो हमारा हम तो उसके हैं यारों,
यूं बेवजह हम ताली बजाते नही।
ऐसे रुठे के तोड़ दिया है रिश्ता,
अब तो ख्वाबों में भी आते नही।
बरसात में परेशान चिड़िया सोचे,
गिरते घर में घोसला बनाते नही।
निकल जाते जो अंजान सफर पे,
वो मुसाफिर लौट के आते नही।  
उसकी ख़ुशी में ही अपनी ख़ुशी,
"रैना" दिल को हम जलाते नही। राजेन्द्र रैना "गुमनाम"

jab hindustani

दोस्तों मेरे लिए नही अपने लिए
जरुर पढ़ना कमेंट्स चाहे मत करना

जब हिन्दुस्तानी जाग जायेगे,
तब काले अंग्रेज नजर न आयेगे।
बुझे शोलें में तपिस अभी बाकी है,
सुभाष,शेखर फिर भड़क जायेगे।
भगत,सुखदेव,बिस्मिल जिंदा हैं,
आ इन्कलाब का नारा लगायेगे।
अब पानी सिर से गुजरने लगा है,
इतना अत्याचार सह न पायेगे।
देश भक्तों ने कसे लगोटे अब तो,
गद्दारों को पीट पीट कर भगायेगे।
मिल कर मनायेगे ईद,दीपावली,
कुछ कमीने न फिर हमें लड़ायेगे।
चुने गे वफादारों को मसीहा अपना,
चम्मचें चापलूसों को अब हरायेगे।
"गुमनाम"डरना तेरा मिजाज नही,
कलम से हर दिल देश प्रेम जगायेगे। राजेन्द्र रैना "गुमनाम"   


  

Thursday, August 29, 2013

शिकायत इल्जाम नाराजगी,
अपनी फितरत में शुमार नही,
मोहब्बत करना सीखा हमने,
बेमुरव्वत से  हमें प्यार नही,
हर सूरत मेरे खुदा के जैसी,
हर दिल में उसका घर यारो,
पल भर भी वो दूर नही रहता
जानते सब मगर एतबार नही।
दूर मनन से मनोरंजन करते,
उसको पाने की भी हसरत है,
खुद को जला सुर्खरु करले "रैना"
इतना आसान उसका दीदार नही। राजेन्द्र रैना "गुमनाम"
सुप्रभात जी   …जय जय मां

aetbar khud se

शिकायत इल्जाम नाराजगी,
अपनी फितरत में शुमार नही,
मोहब्बत करना सीखा हमने,
बेमुरव्वत से  हमें प्यार नही,
हर सूरत मेरे खुदा के जैसी है,
हर दिल में घर उसका यारो,
पल भर भी वो दूर नही रहता
जानते सब फिर भी एतबार नही।
दूर मनन से लोग मनोरंजन करे,
उसको पाने की भी हसरत है,
खुद को जला सुर्खरु करले "रैना"
इतना आसान उसका दीदार नही। राजेन्द्र रैना "गुमनाम"
सुप्रभात जी   …जय जय मां



dil men rhte ho fir kuchh

तुम  मेरे दिल में रहते,
फिर क्यों कुछ न कहते
सनम बेदर्दी बेरूखी तेरी,
आँखों से दरिया हैं बहते।
कभी आके हाल तो पूछो,
पर्वत सा दुःख हम सहते।
बैठे तन्हा उफ़ नही करते,
ढह ले जितने गम ढहते।



मसरुफ तो हर कोई इस जमाने में,
यूं श्तों रिसे आँखें तो नही फेरा करते। राजेन्द्र रैना गुमनाम 

ham bhi to biwi

हम भी तो बीवी के गहने"''
गिरवी रख कर ?????
गुलछरे उड़ाते हैं,
अगर नेताओं ने???
गिरते रूपये को बचाने के लिए????
सोना गिरवी रख दिया को सी बूरी बात है।
आगे चुनाव आने वाला है,
नेताओं ने अपना वेतन भी बढ़ाना है,
कुछ पैसा स्विस बैंक भी पहुचाना है।  
फिर ये जरूरी नही अगली बार ????
चुनाव जीत ही जायेगे,
इसलिए तो जो ????
कमायेगे इस बार ही कमायेगे।  राजेन्द्र रैना "गुमनाम"

Wednesday, August 28, 2013

सूरत अच्छी हो तो सीरत से क्या लेना,
हसरत है पैसा की आदत से क्या लेना,
फ़िलहाल  बहकी ये दुनिया मतलब की यारों,
रिश्ता जिस्मानी है उल्फत से क्या लेना। राजेन्द्र रैना "गुमनाम"

ik muddt se bekrar ham bhi

इक मुद्दत से बेकरार हम भी हैं,
वक्त की मार लाचार हम भी हैं,
कलम से है गहरा रिश्ता अपना,
उसके आशिक बीमार हम भी हैं। राजेन्द्र रैना "गुमनाम"
सुप्रभात जी  ………. जय जय मां















Tuesday, August 27, 2013

ik bar fir se tujhe aana hi hoga

भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई हो
जय जय श्री कृष्ण 

इक बार फिर से काना तुझे आना ही होगा,
भटके मुसाफिरों को राह  दिखाना ही होगा।
इक बार फिर से  ………………………
कौरवों के राज में अब द्रोपदी बदहाल है,
झूठ मालामाल हुआ सच नीरा कंगाल है,
धर्म के ठेकेदार चुप गाय हो रही हलाल है,
इंसानियत है मर गई हैवानों का धमाल है,
धर्म की हानि हो रही धर्म बचाना ही होगा।
इक बार फिर से  ………………………
रक्षक ही भक्षक हो गये खेत बाड़ से डर रहा,
नैतिकता का पतन इन्सान निरन्तर कर रहा,
मसीहा देश को लूट कर अपनी तिजौरी भर रहा,
राक्षसों के राज में आमजन भूखा नंगा मर रहा,
कंस के इस राज को तुझको मिटाना ही होगा।
इक बार फिर से  ………………………
गुमनाम"की गुजारिश कृष्णा और न अब देर कर,
धर्म का सूरज डूब गया जल्दी आ आके सवेर कर,
अपने चक्र सुदर्शन से निर्लज पापियों को ढेर कर,
बंसी की मिठ्ठी धुन सुना दे प्रेम का जादू फेर कर,
तुझे हिंदुस्तान में प्यार का दरिया बहाना ही होगा।
इक बार फिर से  ……………राजेन्द्र रैना "गुमनाम"
सुप्रभात जी। …………… जय जय मां


भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई के साथ नवसर्जित भजन

कोई दीप जले न मथुरा में कंस ने था ऐलान किया,
रोशन हुई मथुरा नगरी जब काना ने जन्म लिया।
जब काना ने  ………………….
जब थे श्री कृष्ण जी पधारे,
तब सो गये पहरेदार ही सारे,
मात देवकी फूली न समाये खिल खिल जाये जिया।
जब काना ने  ………………….
जेल कोठरी में गम भारी,
आये काना मिटी पीड़ा सारी,
मात पिता के प्यासे नैनो ने अमृत का रस पान किया।
जब काना ने  ………………
मात देवकी अति घबराई,
मिलन के साथ ही आई जुदाई,
मां से बेटा बिछुड़ रहा हे भगवन क्यों ये दर्द दिया।
जब काना ने  ………………
देवकी जन्मे यशोदा पाले,
हे राम  तेरे खेल निराले,
वो जन्मों के बंधन से छूटे जिसने नाम का जाम पिया।
जब काना ने  ………………राजेन्द्र रैना "गुमनाम"
राधे राधे बोलो जय कृष्ण कृष्ण बोलो 

बहके परवाने हम भी हैं,
तुम घायल बिस्मिल हम भी हैं,
लिखने की दीवानी हो तुम,
इस फन के कायल हम भी हैं। राजेन्द्र रैना गुमनाम 
 

Monday, August 26, 2013

sunle prani bawle

सुन ले प्राणी बावले,मत न कर उत्पात,
जानवर तो तू नही,है मानष की जात।
कर ले प्रयत्न कुछ बिगड़ी बन जाये बात,
वरना तू पछतायेगा जब होगी काली रात।
मोह माया में मत उलझ मन के द्वारे खोल,
तोड़ दे बंधन दीवारें साईं से कर मुलाकात।
उसका दामन पकड़ ले दर दर यूं मत डोल,
तेरे जीवन में हो फिर खुशियों की बरसात।
अपना कोन बेगाना मुश्किल बड़ा सवाल,
गोर से देख तो भेडियें बैठे लगा कर घात।
"रैना"मीरा के जैसे तू मन के जोड़ ले तार,
गुप काली वो रात भी फिर हो जाये शुभरात। राजेन्द्र रैना "गुमनाम"
सुप्रभात जी  …………………जय जय मां    

हमें कोई नही पूछता तेरे शहर में,हम "गुमनाम" मुसाफिर जो ठहरे। राजेन्द्र रैना गुमनाम"

ghayal hai

 घायल हैं आप तो बिस्मिल मैं भी हूं,
 आप की जमात में शामिल मैं भी हूं। रैना" 
दोस्तों इक ग़ज़ल आप की महफ़िल में
sufi "raina' group इसकी बहर और मात्रा के बारे बताया जायेगा,

इस ग़ज़ल की मात्रा हैं,
2+2+1+2  2+2+1+2  2+2 हर लाइन इतनी मात्रा की होगी 

आसान जिंदगी का सफ़र कर दे,
मेरी तरफ तेरी नजर कर दे।
तू है कहां तेरा ठिकाना है,
कुछ तो बता मुझको खबर कर दे।
तेरे सिवा अब क्या जमाने में,
तू इश्क का दिल पे असर कर दे।
ये लोग दिन को रात कहते हैं,
हो चांदनी खुद को क़मर कर दे।
कुरबान हो हम देश पे "रैना"
मेरे खुदा मुझको अमर कर दे। राजेन्द्र रैना "गुमनाम"
क़मर =चाँद 

aasanjindgika sfarkar de

दोस्तों इक ग़ज़ल आप की महफ़िल में
sufi "raina' group इसकी बहर और मात्रा के बारे बताया जायेगा,

इस ग़ज़ल की मात्रा हैं,
2+2+1+2  2+2+1+2  2+2 हर लाइन इतनी मात्रा की होगी 

आसान जिंदगी का सफ़र कर दे,
मेरी तरफ तेरी नजर कर दे।
तू है कहां तेरा ठिकाना है,
कुछ तो बता मुझको खबर कर दे।
तेरे सिवा अब क्या जमाने में,
तू इश्क का दिल पे असर कर दे।
ये लोग दिन को रात कहते हैं,
हो चांदनी खुद को क़मर कर दे।
कुरबान हो हम देश पे "रैना"
मेरे खुदा मुझको अमर कर दे। राजेन्द्र रैना "गुमनाम" 



Sunday, August 25, 2013

rhne ke liye

रहने के लिये कोई घर न मिला,
मुश्किल राहें हमसफर न मिला।
परख लिए हमने पंडित मोलवी,
उनकी दुआओं में असर न मिला।
आती धूप रोके सामने खड़ा होकर,
मुझको मां सा कोई शजर न मिला।
वक्त की मार से डरे सहमे हुये लोग,
गुल सा खिला कोई बशर न मिला।
लम्बी तान के सो रहे हैं मस्ती में,
देश का मसीहा भी बाखबर न मिला।
"रैना" से इस कदर आंखें फेरने वाले,
भटक रहा तू तुझे भी सबर न मिला। राजेन्द्र रैना गुमनाम"
सुप्रभात के साथ इक रचना जय जय मां   
हास्य व्यंग्य
ये भी हो सकता है

गीदड़ की पत्नी ने गीदड़ से पूछा,
देखो जी आजकल ??????
जंगल में बहुत शोर मचा हुआ है,
गीदड़ बोला भागवान ?????
मैं भी यही सोच रहा हूं।
लगता हैं चुनाव आ गये है,
तभी दिन रात ये कुत्ते ????
मुंह उंचा करके जोर जोर से भौंक रहे हैं। राजेन्द्र रैना गुमनाम 

gidd ki

ये भी हो सकता है

गीदड़ की पत्नी ने गीदड़ से पूछा,
देखो जी आजकल ??????
जंगल में बहुत शोर मचा हुआ है,
गीदड़ बोल भागवान ?????
मैं भी यही सोच रहा हूं।
लगता हैं चुनाव आ गये है,
तभी दिन रात ये कुत्ते ????
मुंह उंचा करके जोर जोर से भौंक रहे हैं। राजेन्द्र रैना गुमनाम
गीदड़ की पत्नी फिर बोली ????
इन चुनावों अपना क्या होगा रोल,
गीदड़ बोल धरती है बिलकुल गोल।
देख हम न कोई खतरा ले गे मोल,
मिठ्ठे रखे बोल कानों मिश्री घोल।
हमारे पास शेर आये चाहे हाथी,
हम तो सबके प्यारे पक्के साथी,
जो नोट दारू दे खूब खुशामद करे,
उसको ही चुपके से बांधे गे राखी,

ishkruhani

दोस्तों एक बार पढ़ना जरुर 

दुनिया ने प्यार की परिभाषा जानी नही,
प्यार तो रूहानी होता है जिस्मानी नही।
इश्क उतर जाता रूह की गहराइयों तक,
बेशक मीरा दीवानी थी मस्तानी नही। 
गौर करना सदकर्मों से ही होती हासिल,
यूं खैरात में तो मिलती जिन्दगानी नही।  
गिरगट की तरह जो निरंतर रंग बदलता,
वो इन्सान हरगिज होता खानदानी नही।
जरूरत हो तो खर्च बेवजह बरबाद न कर,
अब तो धरती के नीचे भी बचा पानी नही। 
हिम्मत से फतह की जाती जंग ए जिंदगी,
जंग तलवार से लड़ी जाती है जुबानी नही।
जंगल में शांति बनाये रखना हमारा ही फर्ज,
भेड़िये गिद्दो ने तो रहमदिली दिखानी नही।
गुमनाम"की गुजारिश हम सब हो जाये एक,
नेताओं के कहने से करनी कोई नादानी नही। राजेन्द्र रैना "गुमनाम'  

yad jab ddrd

याद दर्द ले के आई दिल के शहर में,
इक नदी बह निकली आंखों के रास्ते। राजेन्द्र रैना गुमनाम 

shar me dudh

दूध से पत्थर को नहलाते लोग,
शहर में कई बच्चें भूखे मर गये। राजेन्द्र रैना गुमनाम

पैसा देख इन्सान की फितरत भी बदल जाती है,
पैसे वाली काली भी एकदम गौरी नजर आती है।राजेन्द्र रैना गुमनाम 

Thursday, August 22, 2013

is jnm me vo mile

उससे मिलन होगा हरगिज आस नही है,
उसके घर का पता किसी के पास नही है।
वक्त की चक्की तो एकदम निरंतर चलती,
सबको बारीक़ पीसे कोई भी खास नही है।
सब मोह माया में उलझे पैसे के पीछे दौड़े,
ऐसा नजर न आता जिसको प्यास नही है। 
हम जेब किसी की काटे मजबूरी है लेकिन,
ये हराम की कमाई हमें आती रास नही है।
हम भरोसा किसी पे अब कैसे कर ले यारों,
आज के इन्सां को खुद पे विश्वास नही है।
"रैना"काटने पे आमादा लगाने से गुरेज है,
 पेड़ जीवन दाता हमें क्यों एहसास नही है।राजेन्द्र रैना गुमनाम
सुप्रभात जी। …………जय जय मां