मेरा हमनवा मुलाकात नही करता,
घर में रहता मगर बात नही करता.
Wednesday, November 10, 2010
Saturday, October 2, 2010
तेरे हुस्न के जलवे, बेकरारी बढ़ा रहे है,
यूँ धीरे-धीरे हम भी तेरे पास आ रहे है.
तेरे इंतजार में अभी आधी रात गुजरी,
दीये जला रहे है कभी दीप बुझा रहे है.
तेरे शहर के बाशिंदे अब हो लीये आवारा,
यहाँ जा रहे है कभी वहां को जा रहे है.
खुद से बेखबर है औरों की खबर रखते,
बातों की रेत से अब बस्ती बसा रहे है.
हुआ जो तेरा दीवाना ये खता नही मेरी,
तेरे हसीन जलवे मुझको बहका रहे है.
"रैना" सोच कल की क्या जिन्दगी का मतलब,
होते सफेद बाल तुझे सब कुछ बता रहे है.
राजिंदर "रैना"
Sunday, September 26, 2010
KHANA AAYE N PINA AAYE
खाना आये न पीना आये,
तेरे बिना न जीना आये.
तब मै बेदम ही हो जाऊ,
जब सावन का महीना आये.
रूठ जाये जब भी साकी,
रिन्दों को फिर न पीना आये.
तूफां को घेर लिया जिसको,
काश साहिल पे सफीना आये.
कही वो तो नही मेरी अपनी,
मेरे सपनों में जो हसीना आये.
वो कही भी नजर नही आया,
मथुरा कांशी फिर मदीना आये.
खुद्दार को नींद है तभी आती,
हाड तोड़ मेहनत जब पसीना आये.
बढ़ जाती है तब रोनके महफ़िल,
बज्म में जब कोई नगीना आये.
गर हो जाये मुझ पे तेरी कृपा,
"रैना" को जीने का करीना आये.
राजिंदर "रैना"
तेरे बिना न जीना आये.
तब मै बेदम ही हो जाऊ,
जब सावन का महीना आये.
रूठ जाये जब भी साकी,
रिन्दों को फिर न पीना आये.
तूफां को घेर लिया जिसको,
काश साहिल पे सफीना आये.
कही वो तो नही मेरी अपनी,
मेरे सपनों में जो हसीना आये.
वो कही भी नजर नही आया,
मथुरा कांशी फिर मदीना आये.
खुद्दार को नींद है तभी आती,
हाड तोड़ मेहनत जब पसीना आये.
बढ़ जाती है तब रोनके महफ़िल,
बज्म में जब कोई नगीना आये.
गर हो जाये मुझ पे तेरी कृपा,
"रैना" को जीने का करीना आये.
राजिंदर "रैना"
Saturday, September 25, 2010
aa bhagat singh aa
shahid bhagat singh de 28 sep.nu 102ve janm dihade te vishesh geet-
aa bhagat singh aa, aa bhagat singh aa,tainu fir aana paina a,
kalle angreja to ma nu aajad karvana paina a.
aa bhagat singh, aa bhagat mud aa--aa bhagat fer aa---------
hun te bharat ma te buhte war ho gye,
desh de msiha hi hun gaddar ho gye,
inna gaddara nu sabak sikhana paina a.aa bhagat singh aa-------------
ithe hun jinu da lageda a o lai jande ne,
tuhadi kurbani da koi mul n pande ne,
dande rahi hun ta mull pawana paina a.aa bhagat singh aa------------
bhukhe bhediye neta paise kathhe kar de ne,
desh bare n sochde baink swis de bhatde ne,
luteya paisa desh vich mud laina paina a.aa bhagat singh-----
28 sep. nu tera janm dihara manawa ge,
tere mud aan di assi aash lagawa ge,
"raina" kre salut geet tera gana paina a.aa bhagat singh aa-------
rajinder "raina"
aa bhagat singh aa, aa bhagat singh aa,tainu fir aana paina a,
kalle angreja to ma nu aajad karvana paina a.
aa bhagat singh, aa bhagat mud aa--aa bhagat fer aa---------
hun te bharat ma te buhte war ho gye,
desh de msiha hi hun gaddar ho gye,
inna gaddara nu sabak sikhana paina a.aa bhagat singh aa-------------
ithe hun jinu da lageda a o lai jande ne,
tuhadi kurbani da koi mul n pande ne,
dande rahi hun ta mull pawana paina a.aa bhagat singh aa------------
bhukhe bhediye neta paise kathhe kar de ne,
desh bare n sochde baink swis de bhatde ne,
luteya paisa desh vich mud laina paina a.aa bhagat singh-----
28 sep. nu tera janm dihara manawa ge,
tere mud aan di assi aash lagawa ge,
"raina" kre salut geet tera gana paina a.aa bhagat singh aa-------
rajinder "raina"
Thursday, September 16, 2010
यादों का सहारा
गर तेरी यादों का सहारा नही होता,
फिर तो अपना भी गुजारा नही होता.
तेरे वादों ने ही हमे जिन्दा रखा,
वर्ना ये चमकता सितारा नही होता.
गर मुसीबत कही दूर जा बसती,
तो हर शख्स यूँ बेचारा नही होता,
गर होते न हुस्न के हसीन जलवे,
मस्त मौसम दिलकश नजारा नही होता.
मेरा जीना भी हो जाता मुशिकल,
गर उसका इशारा नही होता.
"रैना"उसकी नजरे इनायत है,
वर्ना कुछ भी हमारा नही होता.
राजिंदर "रैना"
फिर तो अपना भी गुजारा नही होता.
तेरे वादों ने ही हमे जिन्दा रखा,
वर्ना ये चमकता सितारा नही होता.
गर मुसीबत कही दूर जा बसती,
तो हर शख्स यूँ बेचारा नही होता,
गर होते न हुस्न के हसीन जलवे,
मस्त मौसम दिलकश नजारा नही होता.
मेरा जीना भी हो जाता मुशिकल,
गर उसका इशारा नही होता.
"रैना"उसकी नजरे इनायत है,
वर्ना कुछ भी हमारा नही होता.
राजिंदर "रैना"
Tuesday, September 14, 2010
मस्ती देखी.
हमने उजड़ी बस्ती देखी,
फना होती हस्ती देखी.
हर शै बहुत ही महंगी,
सिर्फ जिन्दगी सस्ती देखी.
गुमां जिसको हो ज्यादा,
उसकी डूबती कश्ती देखी.
उसके आंसू टिप टिप टपके,
जो है ज्यादा हंसती देखी.
आशिक, रिन्द, दीवानों में,
हमने बेइंतहा मस्ती देखी.
सावन के महीने में भी,
हमने आग बरसती देखी.
"रैना"आब की तलाश में,
सागर की माँ भटकती देखी.
राजिंदर "रैना"
फना होती हस्ती देखी.
हर शै बहुत ही महंगी,
सिर्फ जिन्दगी सस्ती देखी.
गुमां जिसको हो ज्यादा,
उसकी डूबती कश्ती देखी.
उसके आंसू टिप टिप टपके,
जो है ज्यादा हंसती देखी.
आशिक, रिन्द, दीवानों में,
हमने बेइंतहा मस्ती देखी.
सावन के महीने में भी,
हमने आग बरसती देखी.
"रैना"आब की तलाश में,
सागर की माँ भटकती देखी.
राजिंदर "रैना"
Sunday, September 12, 2010
इश्क की राह
चलना इश्क की राह पे दामन बचा बचा के,
बैठे जमाने वाले फंदे लगा लगा के.
फितरत में हुस्न की होता फरेब शामिल,
वो नर्म कर दे पत्थर आंसू बहा बहा के,
बे दर्दी से उसने मासूम परिंदा मारा,
कातिल निगाहों से यूँ तीर चला चला के.
बेशक मयकदे में आते है मिटने वाले,
रिन्दों को समझ न आये हारे बता बता के.
इश्क देखिये तो किस कदर हुआ दीवाना,
करे है यार राजी यूँ नाच दिखा दिखा के.
"रैना"रो रहा है अपना सब गवा कर,
अब दिल खो गया जो रखा बचा बचा के.
राजिंदर "रैना"
बैठे जमाने वाले फंदे लगा लगा के.
फितरत में हुस्न की होता फरेब शामिल,
वो नर्म कर दे पत्थर आंसू बहा बहा के,
बे दर्दी से उसने मासूम परिंदा मारा,
कातिल निगाहों से यूँ तीर चला चला के.
बेशक मयकदे में आते है मिटने वाले,
रिन्दों को समझ न आये हारे बता बता के.
इश्क देखिये तो किस कदर हुआ दीवाना,
करे है यार राजी यूँ नाच दिखा दिखा के.
"रैना"रो रहा है अपना सब गवा कर,
अब दिल खो गया जो रखा बचा बचा के.
राजिंदर "रैना"
Saturday, August 7, 2010
यूँ धीरे-धीरे
तेरे हुस्न के जलवे, बेकरारी बढ़ा रहे है,
यूँ धीरे-धीरे हम भी तेरे पास आ रहे है.
तेरे इंतजार में अभी आधी रात गुजरी,
दीये जला रहे है कभी दीप बुझा रहे है.
तेरे शहर के बाशिंदे अब हो लिए आवारा,
यहाँ जा रहे है कभी वहां को जा रहे है.
खुद से बेखबर है औरों की खबर रखते,
बातों की रेत से अब बस्ती बसा रहे है.
हुआ जो तेरा दीवाना ये खता नही मेरी,
तेरे हसीन जलवे मुझको बहका रहे है.
"रैना" सोच कल की क्या जिन्दगी का मतलब,
होते सफेद बाल तुझे सब कुछ बता रहे है.
राजिंदर "रैना"
यूँ धीरे-धीरे हम भी तेरे पास आ रहे है.
तेरे इंतजार में अभी आधी रात गुजरी,
दीये जला रहे है कभी दीप बुझा रहे है.
तेरे शहर के बाशिंदे अब हो लिए आवारा,
यहाँ जा रहे है कभी वहां को जा रहे है.
खुद से बेखबर है औरों की खबर रखते,
बातों की रेत से अब बस्ती बसा रहे है.
हुआ जो तेरा दीवाना ये खता नही मेरी,
तेरे हसीन जलवे मुझको बहका रहे है.
"रैना" सोच कल की क्या जिन्दगी का मतलब,
होते सफेद बाल तुझे सब कुछ बता रहे है.
राजिंदर "रैना"
Monday, July 19, 2010
मेरे देश की धरती
ओ मेरे देश की धरती,
अनाज उगले करोड़ो टन,
जनता फिर भी भूखी मरती.
ओ मेरे देश की धरती--------
अब दूर दूर कही खेतों में,वो बैल नजर नही आते है,
फिर जीवन की क्या बात करे,इंसां मूली से काटे जाते है,
कही धर्म के नाम लड़े जनता,कही जाति के नाम है लड़ती.
औ मेरे देश की धरती---------------
आ दूजे देश से आतंकी, निर्दोषों का खून बहाते है,
फिर भी अफजल से आतंकवादी,बंद जेल में पूजे जाते है,
अब खोले खून शहीदों का, क्यों सरकार ये कुछ नही करती.
ओ मेरे देश की धरती-------------
बेलगाम हुई बेरोक टोक, महंगाई छलांगे लगाती है,
दुखी परेशान सहमी जनता,भर पेट न खाना खाती है.
वादे झूठे अश्वासन है,अब बात न कोई बनती.
अ मेरे देश की धरती------------------
अब फैशन का है भूत चढ़ा,हम लाँघ गये हद है सारी,
सब भूले अपनी सस्कृति,नगे नच रहे है नर,नारी,
कैसे माफ़ करे भारत माता,"रैना" करे गलती पर गलती.
ओ मेरे देश की धरती-------------------------
राजिंदर "रैना"
अनाज उगले करोड़ो टन,
जनता फिर भी भूखी मरती.
ओ मेरे देश की धरती--------
अब दूर दूर कही खेतों में,वो बैल नजर नही आते है,
फिर जीवन की क्या बात करे,इंसां मूली से काटे जाते है,
कही धर्म के नाम लड़े जनता,कही जाति के नाम है लड़ती.
औ मेरे देश की धरती---------------
आ दूजे देश से आतंकी, निर्दोषों का खून बहाते है,
फिर भी अफजल से आतंकवादी,बंद जेल में पूजे जाते है,
अब खोले खून शहीदों का, क्यों सरकार ये कुछ नही करती.
ओ मेरे देश की धरती-------------
बेलगाम हुई बेरोक टोक, महंगाई छलांगे लगाती है,
दुखी परेशान सहमी जनता,भर पेट न खाना खाती है.
वादे झूठे अश्वासन है,अब बात न कोई बनती.
अ मेरे देश की धरती------------------
अब फैशन का है भूत चढ़ा,हम लाँघ गये हद है सारी,
सब भूले अपनी सस्कृति,नगे नच रहे है नर,नारी,
कैसे माफ़ करे भारत माता,"रैना" करे गलती पर गलती.
ओ मेरे देश की धरती-------------------------
राजिंदर "रैना"
Thursday, July 8, 2010
रिमझिम बूंदों में नहा कर देखो,
पेड से टपकता आम खा कर देखो,
मजा जन्नत का आ जाये गा.
बाग में कू कू करती हो कोयल,
साथ में उसके गुनगुना कर देखो,
याद फिर कोई आ जाये गा.
राजेंदर" रैना"
बरसात क्या है? बिछुडो के आसूं.
इक मुद्दत से धरती को मिलने के लिए तरस रहा है आसमान,
दिल हल्का करने को छलका देता है आसूं.
राजिंदर"रैना"
पेड से टपकता आम खा कर देखो,
मजा जन्नत का आ जाये गा.
बाग में कू कू करती हो कोयल,
साथ में उसके गुनगुना कर देखो,
याद फिर कोई आ जाये गा.
राजेंदर" रैना"
बरसात क्या है? बिछुडो के आसूं.
इक मुद्दत से धरती को मिलने के लिए तरस रहा है आसमान,
दिल हल्का करने को छलका देता है आसूं.
राजिंदर"रैना"
Tuesday, July 6, 2010
तबाही
मै तो पानी हूँ, हर हाल रवा हो जाऊ गा,
मै सितारा नही,जो टूट कर फना हो जाऊ गा.
मौसम क्या तबाही है,आसूं रुकने का नाम नही लेते,
वैसे ये खता हमारी है,हम किसी को इल्जाम नही देते.
मै सितारा नही,जो टूट कर फना हो जाऊ गा.
मौसम क्या तबाही है,आसूं रुकने का नाम नही लेते,
वैसे ये खता हमारी है,हम किसी को इल्जाम नही देते.
भारत माँ की पुकार
देश प्रेमियों के लिए खास रचना
सोये हुए मन में आजादी की अलख जगाने का,
अब फिर वक्त आ गया है, भारत माँ को आजाद करवाने का.
बेशक गौरे अंग्रेजों को हमने भगा दिया,
मगर काले अंग्रेजों ने माँ को बंदी बना लिया.
काले अंग्रेजों से माँ को छुड़ाने का.
अब फिर वक्त आ--------------------
छीना झपटी, लूट मार नंगा भ्रष्टाचार है,
द्रोपदी का चीर हरण होता बीच बाजार है,
दुशासन से द्रोपदी को बचाने का.
अब फिर वक्त आ---------------
मतलब के दरिया में सारे असूल बह गये,
भाषणों तक सीमित अब हमारे नेता रह गये,
ऐसे झूठे नेताओ को सबक सिखाने का.
अब फिर वक्त आ-----------------
माँ की आबरू पर अब कई वार हो गए,
देश के मसीहा ही गद्दार हो गये,
बेनकाब कर गद्दारों को भगाने का.
अब फिर वक्त आ--------------
रोती बिलखती माँ मेरी खड़ी की खड़ी रह गेई,
रामराज्य की कल्पना धरी ki धरी रह गेई,
शहीदों के सपनों का देश बनाने का.
अब फिर वक्त आ -------------
उठो वीर जवानों भारत माँ की पुकार सुनो,
रंग लो बसंती चोला और आजादी की राह चुनो,
"रैना" अपने कदम पीछे नही हटाने का.
अब फिर वक्त आ---------------
राजिंदर"रैना"
सोये हुए मन में आजादी की अलख जगाने का,
अब फिर वक्त आ गया है, भारत माँ को आजाद करवाने का.
बेशक गौरे अंग्रेजों को हमने भगा दिया,
मगर काले अंग्रेजों ने माँ को बंदी बना लिया.
काले अंग्रेजों से माँ को छुड़ाने का.
अब फिर वक्त आ--------------------
छीना झपटी, लूट मार नंगा भ्रष्टाचार है,
द्रोपदी का चीर हरण होता बीच बाजार है,
दुशासन से द्रोपदी को बचाने का.
अब फिर वक्त आ---------------
मतलब के दरिया में सारे असूल बह गये,
भाषणों तक सीमित अब हमारे नेता रह गये,
ऐसे झूठे नेताओ को सबक सिखाने का.
अब फिर वक्त आ-----------------
माँ की आबरू पर अब कई वार हो गए,
देश के मसीहा ही गद्दार हो गये,
बेनकाब कर गद्दारों को भगाने का.
अब फिर वक्त आ--------------
रोती बिलखती माँ मेरी खड़ी की खड़ी रह गेई,
रामराज्य की कल्पना धरी ki धरी रह गेई,
शहीदों के सपनों का देश बनाने का.
अब फिर वक्त आ -------------
उठो वीर जवानों भारत माँ की पुकार सुनो,
रंग लो बसंती चोला और आजादी की राह चुनो,
"रैना" अपने कदम पीछे नही हटाने का.
अब फिर वक्त आ---------------
राजिंदर"रैना"
Monday, July 5, 2010
भारत माँ
देश प्रेमियों के लिए खास रचना
सोये हुए मन में आजादी की अलख जगाने का,
अब फिर वक्त आ गया है, भारत माँ को आजाद करवाने का.
अब फिर वक्त आ ------------------
बेशक गौरे अंग्रेजों को हमने भगा दिया,
मगर काले अंग्रेजों ने माँ को बंदी बना लिया.
काले अंग्रेजों से माँ को छुड़ाने का.
अब फिर वक्त आ--------------------
छीना झपटी, लूट मार नंगा भ्रष्टाचार है,
द्रोपदी का चीर हरण होता बीच बाजार है,
दुशासन से द्रोपदी को बचाने का.
अब फिर वक्त आ---------------
मतलब के दरिया में सारे असूल बह गये,
भाषणों तक सीमित अब हमारे नेता रह गये,
ऐसे झूठे नेताओ को सबक सिखाने का.
अब फिर वक्त आ-----------------
माँ की आबरू पर अब कई वार हो गए,
देश के मसीहा ही गद्दार हो गये,
बेनकाब कर गद्दारों को भगाने का.
अब फिर वक्त आ--------------
रोती बिलखती माँ मेरी खड़ी की खड़ी रह गेई,
रामराज्य की कल्पना धरी- धरी रह गेई,
शहीदों के सपनों का देश बनाने का.
अब फिर वक्त आ -------------
उठो वीर जवानों भारत माँ की पुकार सुनो,
रंग लो बसंती चोला और आजादी की राह चुनो,
"रैना" अपने कदम पीछे नही हटाने का.
अब फिर वक्त आ---------------
राजिंदर"रैना"
सोये हुए मन में आजादी की अलख जगाने का,
अब फिर वक्त आ गया है, भारत माँ को आजाद करवाने का.
अब फिर वक्त आ ------------------
बेशक गौरे अंग्रेजों को हमने भगा दिया,
मगर काले अंग्रेजों ने माँ को बंदी बना लिया.
काले अंग्रेजों से माँ को छुड़ाने का.
अब फिर वक्त आ--------------------
छीना झपटी, लूट मार नंगा भ्रष्टाचार है,
द्रोपदी का चीर हरण होता बीच बाजार है,
दुशासन से द्रोपदी को बचाने का.
अब फिर वक्त आ---------------
मतलब के दरिया में सारे असूल बह गये,
भाषणों तक सीमित अब हमारे नेता रह गये,
ऐसे झूठे नेताओ को सबक सिखाने का.
अब फिर वक्त आ-----------------
माँ की आबरू पर अब कई वार हो गए,
देश के मसीहा ही गद्दार हो गये,
बेनकाब कर गद्दारों को भगाने का.
अब फिर वक्त आ--------------
रोती बिलखती माँ मेरी खड़ी की खड़ी रह गेई,
रामराज्य की कल्पना धरी- धरी रह गेई,
शहीदों के सपनों का देश बनाने का.
अब फिर वक्त आ -------------
उठो वीर जवानों भारत माँ की पुकार सुनो,
रंग लो बसंती चोला और आजादी की राह चुनो,
"रैना" अपने कदम पीछे नही हटाने का.
अब फिर वक्त आ---------------
राजिंदर"रैना"
Monday, June 28, 2010
वफा का सिला
आप के लिए खास
बुझ जा शमा या जला दे मुझको,
कुछ तो वफा का सिला दे मुझको.
छूना मय को तौबा मेरी तौबा,
सिर्फ आँखों से पीला दे मुझको.
भटक रहा हूँ अपनी राहों से,
मेरी मंजिल का पत्ता दे मुझको.
बैठा ले मुझे अपनी पलकों पर
चाहे पैरों में गिरा दे मुझको.
बात कही मैंने अपने दिल की,
तेरे दिल में क्या बता दे मुझको.
अब कटती नही है तन्हा रातें,
हमजुबां कोई मिला दे मुझको.
"रैना" ताज्जुब है तेरी हिम्मत पर,
राज क्या है तूं बता दे मुझको.
राजिंदर "रैना'
बुझ जा शमा या जला दे मुझको,
कुछ तो वफा का सिला दे मुझको.
छूना मय को तौबा मेरी तौबा,
सिर्फ आँखों से पीला दे मुझको.
भटक रहा हूँ अपनी राहों से,
मेरी मंजिल का पत्ता दे मुझको.
बैठा ले मुझे अपनी पलकों पर
चाहे पैरों में गिरा दे मुझको.
बात कही मैंने अपने दिल की,
तेरे दिल में क्या बता दे मुझको.
अब कटती नही है तन्हा रातें,
हमजुबां कोई मिला दे मुझको.
"रैना" ताज्जुब है तेरी हिम्मत पर,
राज क्या है तूं बता दे मुझको.
राजिंदर "रैना'
Sunday, June 27, 2010
किस्मत पर तो कर्म है भारी,
रोने से मसले होते न हल,
कोशिश अक्सर होती सफल.
किस्मत पर तो कर्म है भारी,
अन्धविश्वास से बाहर निकल.
चढ़ती जवानी गुमां न कीजे,
शाम के मान्निद जाये गी ढल.
कहने को जिन्दगी सौ वर्ष की,
सही मयानों में पल दो पल.
जो भी होना आज ही होगा,
कुछ भी होना नही है कल.
चार दिनों का खेल है सारा,
गम की आग में यूँ न जल.
"रैना" जिन्दगी हसीं बना ले,
चलते है घर यार के चल.
राजिंदर "रैना"
कोशिश अक्सर होती सफल.
किस्मत पर तो कर्म है भारी,
अन्धविश्वास से बाहर निकल.
चढ़ती जवानी गुमां न कीजे,
शाम के मान्निद जाये गी ढल.
कहने को जिन्दगी सौ वर्ष की,
सही मयानों में पल दो पल.
जो भी होना आज ही होगा,
कुछ भी होना नही है कल.
चार दिनों का खेल है सारा,
गम की आग में यूँ न जल.
"रैना" जिन्दगी हसीं बना ले,
चलते है घर यार के चल.
राजिंदर "रैना"
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