चलना इश्क की राह पे दामन बचा बचा के,
बैठे जमाने वाले फंदे लगा लगा के.
फितरत में हुस्न की होता फरेब शामिल,
वो नर्म कर दे पत्थर आंसू बहा बहा के,
बे दर्दी से उसने मासूम परिंदा मारा,
कातिल निगाहों से यूँ तीर चला चला के.
बेशक मयकदे में आते है मिटने वाले,
रिन्दों को समझ न आये हारे बता बता के.
इश्क देखिये तो किस कदर हुआ दीवाना,
करे है यार राजी यूँ नाच दिखा दिखा के.
"रैना"रो रहा है अपना सब गवा कर,
अब दिल खो गया जो रखा बचा बचा के.
राजिंदर "रैना"
Sunday, September 12, 2010
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