तेरे हुस्न के जलवे, बेकरारी बढ़ा रहे है,
यूँ धीरे-धीरे हम भी तेरे पास आ रहे है.
तेरे इंतजार में अभी आधी रात गुजरी,
दीये जला रहे है कभी दीप बुझा रहे है.
तेरे शहर के बाशिंदे अब हो लिए आवारा,
यहाँ जा रहे है कभी वहां को जा रहे है.
खुद से बेखबर है औरों की खबर रखते,
बातों की रेत से अब बस्ती बसा रहे है.
हुआ जो तेरा दीवाना ये खता नही मेरी,
तेरे हसीन जलवे मुझको बहका रहे है.
"रैना" सोच कल की क्या जिन्दगी का मतलब,
होते सफेद बाल तुझे सब कुछ बता रहे है.
राजिंदर "रैना"
Saturday, August 7, 2010
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