Sunday, September 26, 2010

KHANA AAYE N PINA AAYE

खाना आये न पीना आये,


तेरे बिना न जीना आये.

तब मै बेदम ही हो जाऊ,

जब सावन का महीना आये.

रूठ जाये जब भी साकी,

रिन्दों को फिर न पीना आये.

तूफां को घेर लिया जिसको,

काश साहिल पे सफीना आये.

कही वो तो नही मेरी अपनी,

मेरे सपनों में जो हसीना आये.

वो कही भी नजर नही आया,

मथुरा कांशी फिर मदीना आये.

खुद्दार को नींद है तभी आती,

हाड तोड़ मेहनत जब पसीना आये.

बढ़ जाती है तब रोनके महफ़िल,

बज्म में जब कोई नगीना आये.

गर हो जाये मुझ पे तेरी कृपा,

"रैना" को जीने का करीना आये.

राजिंदर "रैना"

Saturday, September 25, 2010

aa bhagat singh aa

shahid bhagat singh de 28 sep.nu 102ve janm dihade te vishesh geet-

aa bhagat singh aa, aa bhagat singh aa,tainu fir aana paina a,
kalle angreja to ma nu aajad karvana paina a.
aa bhagat singh, aa bhagat mud aa--aa bhagat fer aa---------
hun te bharat ma te buhte war ho gye,
desh de msiha hi hun gaddar ho gye,
inna gaddara nu sabak sikhana paina a.aa bhagat singh aa-------------
ithe hun jinu da lageda a o lai jande ne,
tuhadi kurbani da koi mul n pande ne,
dande rahi hun ta mull pawana paina a.aa bhagat singh aa------------
bhukhe bhediye neta paise kathhe kar de ne,
desh bare n sochde baink swis de bhatde ne,
luteya paisa desh vich mud laina paina a.aa bhagat singh-----
28 sep. nu tera janm dihara manawa ge,
tere mud aan di assi aash lagawa ge,
"raina" kre salut geet tera gana paina a.aa bhagat singh aa-------
rajinder "raina"

Thursday, September 16, 2010

यादों का सहारा

गर तेरी यादों का सहारा नही होता,
फिर तो अपना भी गुजारा नही होता.
तेरे वादों ने ही  हमे जिन्दा रखा,
वर्ना ये चमकता सितारा नही होता.
गर मुसीबत कही दूर जा बसती,
तो हर शख्स यूँ बेचारा नही होता,
गर होते न हुस्न के हसीन जलवे,
 मस्त मौसम दिलकश नजारा नही होता.
मेरा जीना भी हो जाता मुशिकल,
गर उसका इशारा नही होता.
"रैना"उसकी नजरे इनायत है,
वर्ना कुछ भी हमारा नही होता.
राजिंदर "रैना"

Tuesday, September 14, 2010

मस्ती देखी.

हमने उजड़ी बस्ती देखी,


फना होती हस्ती  देखी.

हर शै बहुत ही महंगी,

सिर्फ जिन्दगी सस्ती देखी.

गुमां जिसको हो ज्यादा,

उसकी डूबती कश्ती देखी.

उसके आंसू टिप टिप टपके,

जो है ज्यादा हंसती देखी.

आशिक, रिन्द, दीवानों में,

हमने बेइंतहा मस्ती देखी.

सावन के महीने में भी,

हमने आग बरसती देखी.

"रैना"आब की तलाश में,

सागर की माँ भटकती देखी.

राजिंदर "रैना"

Sunday, September 12, 2010

इश्क की राह

चलना इश्क की राह पे दामन बचा बचा के,


बैठे जमाने वाले फंदे लगा लगा के.

फितरत में हुस्न की होता फरेब शामिल,

वो नर्म कर दे पत्थर आंसू बहा बहा के,

बे दर्दी से उसने मासूम परिंदा मारा,

कातिल निगाहों से यूँ तीर चला चला के.

बेशक मयकदे में आते है मिटने वाले,

रिन्दों को समझ न आये हारे बता बता के.

इश्क देखिये तो किस कदर हुआ दीवाना,

करे है यार राजी यूँ नाच दिखा दिखा के.

"रैना"रो रहा है अपना सब गवा कर,

अब दिल खो गया जो रखा बचा बचा के.

राजिंदर "रैना"