Sunday, September 26, 2010

KHANA AAYE N PINA AAYE

खाना आये न पीना आये,


तेरे बिना न जीना आये.

तब मै बेदम ही हो जाऊ,

जब सावन का महीना आये.

रूठ जाये जब भी साकी,

रिन्दों को फिर न पीना आये.

तूफां को घेर लिया जिसको,

काश साहिल पे सफीना आये.

कही वो तो नही मेरी अपनी,

मेरे सपनों में जो हसीना आये.

वो कही भी नजर नही आया,

मथुरा कांशी फिर मदीना आये.

खुद्दार को नींद है तभी आती,

हाड तोड़ मेहनत जब पसीना आये.

बढ़ जाती है तब रोनके महफ़िल,

बज्म में जब कोई नगीना आये.

गर हो जाये मुझ पे तेरी कृपा,

"रैना" को जीने का करीना आये.

राजिंदर "रैना"

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