Thursday, September 26, 2013

दोस्तो छोटी बहर कि गजल 

जीने की सजा दे गई,
मौत फिर दगा दे गई।
ये ख़ुशी गिला भी मुझे 
बेवफा वफा दे गई। 
आग बुझ गई इश्क की,
कोन फिर हवा दे गई। 
ये गिला बराबर रहा , 
जिंदगी कजा दे  गई ।
गम मुझे नही छू सका,
मेरी मां दुआ दे गई ।    
कब नसीब थे ये मिरे, 
बंदगी सिला दे गई।
खुशनसीब गुमनाम हे,
फूल वो खिला दे गई । राजेंद्र गुमनाम 
   

   

dil da ki hai tutde tutde tut hi

punjabi katta

dil da ki hai tutde tutde tut hi jada hai,
sadra da bag lutde lutde lut hi jada hai,
bedard te bhrosa dasso kida kar leiye,
o pyar da buta putde putde put hi jada hai.rajinder "raina"

Wednesday, September 25, 2013

ujhe jine ji

जीने की सजा दे गई,
मौत फिर दगा दे गई। 
  

po ji man jay jay maa

मा कि भेंट

जपो जी मन जय जय मा
जय जय मा,जय जय मा,
जपो जी मन जय जय …
इसी में तेरा मान है,
इसी में तेरी शान है,
यहाँ वहाँ चैन मिले,
हो जाना कल्याण है,
जपो जी मन जय जय  …
आदि शक्ति अष्टभवानी,
सब की पीडा हरने वाली,
भक्तों की चिन्ता दूर करे,
बन जय मा चण्डी काली,
उसको ही मा दर्शन देती,
चरनों में जिसका ध्यान है।
जपो जी मन ……. राजेन्द्र गुमनाम 

rashan tera maikhana

रोशन है तेरा मैखाना,
मैं भी हू तेरा दीवाना,
साकी ये तेरी मर्जी है,
खाली रख या भर पैमाना। राजेन्द्र गुमनाम
सुप्रभात जी ……जय जय मा

kon kab juda ho ga

दोस्तो गजल आप के नाम

कोन कब किससे जुदा होगा,
वक़्त ने पहले लिखा होगा।
साथ किस्मत भी कभी देती,
कर्म से सब कुछ मिला होगा।
राम कहता मैं जिसे अपना,
सच वही तेरा खुदा होगा।   
बेवफा कैसे कहू तुझको,
दर्द तो उसने दिया होगा।
झूठ कम ही बोलते पत्थर,
कुछ अलग उनको दिखा होगा।
जान अपनी नाम उसके कर,
कर भला "रैना" भला होगा।राजेंद्र रैना"गुमनाम"


Tuesday, September 24, 2013

hasrat hai

गर तेरा दीदार हो जाये,
जिंदगी बहार हो जाये।
तू तो मेरा आशिक है,
मुझे भी प्यार हो जाये।
फिर मुझको क्या चिंता,
जब तू गमगुसार हो जाये।
गर तू पतवार बने तो,
टूटी किस्ती पार हो जाये।
अब "रैना"को फिक्र नही,
जो होना यार हो जाये।
सुप्रभात जी   …जय जय मां  

yad teri wfa

मेरे युवा दोस्तो के लिये गजल

तू दिल का सौदा मत करना,
जीना मुश्किल होगा मरना,
दुनिया वाले दिल के काले,
जाहिल से मुश्किल हो लड़ना।
हाथों पे जां रख ले यारा,  
उल्फत में कब वाजिव डरना।
हर इक मरहम बेअसर साबित, 
दिल के जख्मों ने कब भरना।
वो कब रोके से रूकता है,
जिसने उंची छोटी चढ़ना।
"रैना"को अब मत कुछ कहना,
उसने सब मरजी से करना। राजेंद्र रैना"गुमनाम"  

vo hm se bat nhi krte,

सजन हम से बात नही करते,
पास रहते मुलाकात नही करते।
बरसते बादल यहां वहां लेकिन,
मेरे घर बादल बरसात नही करते। राजेंद्र रैना "गुमनाम"   

Monday, September 23, 2013

गांव की याद जब भी आती है,
मन की बगिया महक जाती है,
ऐसा भी कभी महसूस होता है,
छत पे खड़ी मां मुझे बुलाती है! 
        


हम से किनारा कर के चले गये,
हाये बेसहारा कर के चले गये,
खुद तो बसा ली अपनी दुनिया ,
रैना"को आवारा कर के चले गये। रैना"

mai ishk ch aaeho

punjabi sad song

mai ishk ch aeho kamaya sajno,
rog jinddi nu umra da laya sajno.
apna khwaba te khyala vich di,
onu vang nagine de sjaya sajno.
hansdi channi jdo mere vede aai,
odi yada ne ghera jeha paya sajno.
sade wall mehar di najar nhi karda,
sada dil one bda hi tadfaya sajno.
"raina"jide pichhe assi mar muke ha
oh sadi arthi te vi n aaya sajno. rajinder "raina"

Sunday, September 22, 2013

teri mhfil me

उसकी महफ़िल में शामिल कर,
तू खुद को इतना काबिल कर।
दिल तो गुल है गुल रहने दे,
दिल को पत्थर मत जाहिल कर।
अब दुनिया चलती है चालें,
गर बचना खुद को कामिल कर।
तारा बन के तब चमके गा,
जो मुश्किल उसको हासिल कर।
भटकी लहरें ढूंढ़ती तुझको,
"रैना"तू खुद को साहिल कर। राजेन्द्र रैना"गुमनाम"
सुप्रभात जी  ……………जय जय मां
कामिल=होशियार 
तू बन जा जिंदगी मेरी,
मैं कर लू बंदगी तेरी।
चलती सांसें भी रूकती,
कुछ समझो मत कर देरी।राजेन्द्र रैना "गुमनाम"
  

de ke yada da sahara

punjabi sad song

de ke yada da sahara,
o mud aaya n dubara,
kive dasa sade nal dhokha ho gya,
haye jindgi jina bda aukha ho gya.
hun jindgi jina .................
hoya wadeya da khoon,
sara lath gya ae janoon,
ghdi akh n lava,
git virha de gava,
maut da aana hun sokha gya.
hun jindgi jina  ...............rajinder raina"

Saturday, September 21, 2013



punjabi sufi song

aeho shikwa yar mera pyar nhi karda,
bhaida lare lai rkhda hai guljar nhi karda.
prde de vich baithha sab te njar rakhda hai,
mere nal kde vi o akha char nhi karda.
mai ta gal gal te ode nal lrhda hi rhida ha,
par o te bda sabra wala takrar nhi karda.
jhuthhi meri shikayt hai samjh maiun aa gai,
o dila da mahrm kde kise nu bejar nhi karda.
bekdra nu mera ranjhan ik hi sja deda hai,
bhatkde o ne rah jade bhav to par nhi karda.rajinder raina"




नीर मैं मेरा मिजाज हर रंग में ढल जाना,
फिर जुदा न होना मुझको मन्जूर जल जाना।नीर 


aeho shikwa yar mera pyar nhi karda,
bas lare lai rkhda hai inkar nhi karda.
chilman vich baithha odi sab te najar,
mere nal kde vi o akha char nhi karda.
mai ta gal gal te ode nal lrhda rhida ha,
par o bhaida mere nal takrar nhi karda. 

tu nede hoke vi dur sjna

ruh di khrak punjabi sufi song

tu nede ho ke vi door sjna,
mai matlbi ha mjboor sjna,
aai smjh te mai ae soch leya,
hon mele ik wari jroor sjna.
sade wall rahm di najr kar de,
maf kar de jo hoya ksoor sjna.
ae rup husn tu hi bakhsheya hai,
mainu hoi jada fer vi fitoor sjna.
assi mngte ae tetho khair mngde,
aham sad jave wag kpoor sjna.
ujh tera sada koi mukabla nhi,
mai gumnam"tu mashhoor sjna.rajinder raina gumnam"

tu gul ke jaise khil ja

तू गुल के जैसे खिल जा,
पानी हो सब में मिल जा,
"रैना" तू  बंदगी कर ले,
कुन्दन होने को जल जा। राजेन्द्र रैना"गुमनाम'

tujhse milne ki hasrat

दोस्तों के लिए ग़ज़ल

तुझसे मिलने की हसरत है,
जारी अपनी भी कसरत है।
सच से अपना रिश्ता नाता,
झूठे से हमको नफरत है।
मतलब के खातिर जी कहना,
ये तो इन्सां की फितरत है।
जीने की कोशिश जारी है,
यूं मरने की कब फुरसत है।
साकी मिलने दे नजरों को,
अपनी पीने की आदत है।
"रैना"अपनी ही ये गल्ती,
जो आई ऐसी नौबत है। राजेन्द्र रैना"गुमनाम"
   

nafart ki aag me

दोस्तों के लिए खास तोहफा

नफरत की आग में सारा शहर जल रहा,
सियासतदानों का देखिये चूल्हा जल रहा।
बदले दौर में इन्सान ने फितरत बदल ली,
हर दिल में नफरत का बच्चा पल रहा।
चोर डाकूओं की अब तो कमी नही कोई,
निसंदेह इन्सान खुद को खुद ही छल रहा।
यूं गिरगट को ये दोष हरगिज न दीजिये,
वक्त के मुताबिक इन्सान चोंगा बदल रहा।
ज्वालामुखी अभी फटा नही चढ़ा तापमान,
चट्टान पूछती क्यों भला पत्थर पिघल रहा,
हासिल कुछ न होगा तुझे बरबादी के सिवा,
"गुमनाम"तू अब जिस रास्ते पे है चल रहा। राजेन्द्र रैना"गुमनाम"

Friday, September 20, 2013

pyaj

प्याज को लेकर प्रधानमन्त्री जी का बयान
हास्य व्यंग्य 

प्याज को लेकर न बुरी नीयत हमारी है,
दरअस्ल ये सरकार महिला हितकारी है।
देखो ये प्याज ज्यादा गुस्सा दिखाता था,
महिलाओं को दिन में कई बार रूलाता था।
प्याज काटते वक्त महिलाओं को गुस्सा आता,
इस दौरान कभी कभी बेचारा मर्द भी पिट जाता।
ये देख कर हमने कर दिया आसान काम है,
प्याज महंगा होने मिया बीवी दोनों को आराम है। 
ये आरोप हमने प्याज का दाम बढ़ा दिया है,
सच ये हमने प्याज का रुतबा कम किया है।
अब आम महिला प्याज को हाथ न लगायेगी,
प्याज को हाथ न लगाएगी फिर आंसू न बहायेगी,
आंसू न बहाएगी फिर पति पे बेलन न बरसायेगी।
हमने प्याज के दाम बढ़ा कर कुछ बुरा न किया है,
महिलाओं को चुनाव का शानदार तोहफा दिया है।
ये सच्चाई विपक्ष तो बेवजह करता बक बक है,
महिलायों की वोटों पर तो हमारी पार्टी का हक़ है।राजेन्द्र रैना"गुमनाम"

Thursday, September 19, 2013

tera sara shara

tera sara shahar mainu changa lgda hai,
par tu njar n aave bda manda lgda hai .
hwa da asar hai dasso ta ae ki ho gya,
aj da insan matlbi bda bedanga lgda hai.
maosam ki bdleya sab di soch badl gai,
har ghar vich hoya koi panga lgda hai. 
bhrshtachar vich dub gye desh de msiha,
bhrshtachar hun netava da dhandha lgda hai.
lgda tu vi bhul gya apne sone yar pyar nu,
tahi"raina" da chehra vi bdranga lgda hai.rajinder "raina"

sun samne tu aa ik bari

सुन सामने तू आ इक बारी,
अब आगे की कर ली तैयारी,
हम जानते बड़ा ही मुश्किल,
वहां हो न मुलाकात हमारी। 
सुन सामने  ………
किया वादा न मैंने निभाया,
बेवकूफ है खुद को बनाया,
झूठे सच्चे खेल ही खेले,
अपने आप को मैंने हराया, 
तब होश है मुझको आई,
जब बात बिगड़ गई सारी। 
सुन सामने  ………
अक्सर देखे हैं झूठे ही सपने,
मोह माया क्रोध मेरे अपने,
हुआ मतलब तब ही पुकारा,
जब लगे ये खजाने घटने,
अब घबराना और पछताना,
मैं शरण में आया हूं तुम्हारी।
 सुन सामने  ………राजेन्द्र रैना "गुमनाम"
सुप्रभात जी  ………जय जय मां 
  

    

teri dil lutne

प्यारी सी गज़ल दोस्तों के लिए 

तेरी दिल लूटने की अदा बाकमाल है,
सच हंसी फूटने की अदा बाकमाल है।
यूं खुदा ने बनाया बड़े प्यार से तुझे,
उसकी तो सोचने की अदा बाकमाल है।
काश तुझको कभी ख्याल आये मिरा ऐसे,
ये तिरी भूलने की अदा बाकमाल है।  
बज्म से तेरी उठ कर कही और जा बसे,
ख्वाब यूं तोड़ने की अदा बाकमाल है।
रैन"कटती नही दिल परेशान है मिरा, 
तेरी ये रुठने की अदा बाकमाल है।  राजेन्द्र रैना"गुमनाम"


Wednesday, September 18, 2013

itne udas

इतने उदास हैरान क्यों हो,
क्या हुआ परेशान क्यों हो।
लोग अब चेहरा बदल लेते,
तुम इतने नादान क्यों हो।
तुम खबर औरों की रखते,
खुद से तुम अनजान क्यों हो।
लोग हो गये हैं शो रुम जैसे,
तुम भला बंद दुकान क्यों हो।
तन्हा बैठे हम सोचा करते,
तुम मेरे भगवान क्यों हो।
हाथों की लकीरें देखा करते,
तुम किस्मत पे कुर्बान क्यों हो।
'रैना" पूछता रहता बच्चों से,
ये बताओ इतने शैतान क्यों हो। राजेन्द्र रैना"गुमनाम
सुप्रभात जी। … जय जय मां

tujhko meri

तुझको मेरी जुस्तजू न रही,
मुझको तेरी आरजू न रही,
गर हम बदल गये सच में,
फिर तू भी तो वो तू न रही। राजेन्द्र रैना गुमनाम 

mera apna hai fir

दोस्तों मेरे दिल का टुकड़ा आप के हवाले,

तेरे हुस्न का जलवा हमको दिखा जरा,
पर्दे से बाहर आ के आंख तो मिला जरा। 
अब किस हाल में तेरा बन्दा जी रहा है,
कितना है वेतन तू हिसाब तो लगा जरा। 
साकी मत रुठ हम रिन्द दीवाने हैं तेरे, 
भर दे पैमाना जाम मस्ती का पिला जरा।
तेरे बन्दे अब तो जाहिल काफ़िर हो गये,
कुचल देगे मुझको तू गिरते को उठा जरा। 
बेईमानों चोरों की अब चांदी इस शहर में, 
तू बदली कर नियम नया कानून बना जरा। 
तेरे शहर में भटके इक "गुमनाम"मुसाफिर,
तू रहनुमा है मेरा अब रास्ता तो बता जरा।राजेन्द्र रैना"गुमनाम'

Tuesday, September 17, 2013

dahkte angare

दोस्तों इक रचना आप के लिए 

दहकते अंगारे क्यों हाथों में उठाता है,
मेरे दोस्त इश्क का आग से नाता है। 
देखो ये सच इश्क क़ुरबानी मांगता,
मिट जाती शमा परवाना जल जाता है। 
आशिक की किस्मत में जुदाई तन्हाई,
मिलन का सुनहरी वक्त कभी न आता है।
पैसे की मंडी में अब इश्क भी तिजारत,
गरीब आशिक ख्वाबों के महल बनाता है। 
हुस्न को न फुरसत इश्क भी मसरूफ है,
आंख कही और दिल इधर उधर जाता है।
महंगाई ने 'रैना" कमर तोड़ के ही रख दी, 
आम आदमी क्या करे आंसू ही बहाता है। राजेन्द्र रैना"गुमनाम"

Monday, September 16, 2013

vo nikal gye

वो निकल गये आगे बहुत,
हम  छूट गये पीछे बहुत,
उन सा न मिले कोई कही,
यूं यार यहां मिलते बहुत। राजेन्द्र रैना गुमनाम"

teri rhamt brse

साकी ने फेरी आंखें,
रोती हैं मेरी आंखें।
जो देखे उसकी आंखें,
कब देखे तेरी आंखें। 
मत कर आंखों की बातें,
सागर से गहरी आंखे।
मीरा कहती मत पूछो,
किस पे हैं ठहरी आंखें।
आशिक का शिकवा देखो,
होती हैं जहरी आंखें।
"रैना"को दिन की हसरत,
पीड़ा में बहती आंखें।राजेन्द्र रैना गुमनाम"
सुप्रभात जी। …… जय जय मां     

tujhe pan ki hasrat hai

दोस्तों काफी दिनों बाद आप की महफ़िल में

मैं तेरा आशिक दीवाना,अब पागल जैसी हालत है,
मैं सागर से मोती खोजू ,तुझको पाने की हसरत है।
तुझसे शिकवा कैसे कर लू,मैं जीवन जीता  डर डर के,
तू सुनता कब मुफलिस की,गम सहना मेरी आदत है।
 उजड़ी वीरां इस बस्ती में,कुत्ते भी रोते चुपके से,
बातों को चुप से पी जाना,अब बन्दों की ये फितरत है।
तब भी गांधी की चलती थी,अब भी गांधी ही हावी है,
वो इस नगरी का कब वासी,गांधी से जिसको नफरत है।  
दफ्तर में मख्खन मारों का,अब रूतबा काफी ऊंचा है,
जो भी अपना मुख खोले है,आ जाती उसकी शामत है।
मोदी का भाषण सुन के तो,लगता "रैना"कुछ कर लेगा,
वैसे भारत के नेता की,बुझदिल के जैसी हालत है। राजेन्द्र "रैना"गुमनाम 
  

Monday, September 9, 2013

fan hai fankar

फन है फनकार नही हूं
कला है कलाकार नही हूं,
इसलिये पीछे रह गया,
क्योकि समझदार नही हूं।
इस जमाने में न फनकार होना जरुरी है,
तरक्की के लिये मझदार होना जरुरी है।  राजेन्द्र रैना गुमनाम"

Sunday, September 8, 2013

sjna se ishk n

सजना से इश्क न हुआ याराना,
लगता फिर से वही आना जाना,
यहां भटकते रहे वहां पे तड़फे गे,
मैं बेवफा को न मिले ठिकाना।
लगता फिर से ………….
मुझे मजबूरी रही उससे दूरी रही,
उसको भुला रहा जो जरूरी रही,
वो कथा वो कहानी तो अधूरी रही,
झूठी बेवजह की मेरी मशहूरी रही,
फिर से आंसू बहाना पछताना।
लगता फिर से। ……………
रैना"तूने कभी कुछ सोचा नही,
बढ़ते कदमों को तूने रोका नही,
क्यों साजन को ऐसे भुला दिया,
यूं वादा करके तो ऐसे होता नही,
गुजरा वक्त न फिर वापिस आना।
लगता फिर से। …………. राजेन्द्र रैना गुमनाम"

kon khta mai tum

कोन कहता तुझे प्यार नही करते,
प्यार करे मगर इजहार नही करते। 
तुझ पे एतबार हम करे भला कैसे,
हम कभी खुद पे एतबार नही करते।
वक्त ऐसा अक्सर देर सवेर हो जाती,
इसलिये हम कभी इकरार नही करते। 
कुछ न कहे हद में रहे फितरत अपनी,
भूल कर भी हद को पार नही करते।
यार करते हैं तभी तो भरोसा हम पर,
झूठ से नफरत दो का चार नही करते।
ये जमाना है मंडी हर शै तिजारत है,
आशिक इश्क का व्यापार नही करते।
"रैना"कहने को वो मेरे अपनो से बढ़ के,
पर साथ मेरे कभी गमगुसार नही करते। राजेन्द्र रैना गुमनाम"  
 

tainu miln di tmmna

tainu miln di tmnna fer adhoori rah gai,
sine vich dafn hai jedi gal jruri rah gai.
tainu miln di .........................................
vekh tere hsin jlwe wade ksama bhul gye,
jede sade dushman si assi unna te dul gye,
paimane di ki gal kra surahi puri rah gai.
tainu miln di ...........................................
hun mai pchhatana ha koi n tere sang wrga,
tu mera mahram sjna koi n tere dhang wrga,
"raina"tere mere vich di fer o doori rah gai.
tainu miln di .............................rajinder "raina"

punjabi heart touching punjabi song

dil vich varh ke vekh lai,
ke ghar kive luteya gya,
mere sadra da bag ujhadeya,
haye buta buta puteya gya.
luteya gya haye puteya gya ..........
dil de ghar jede aaye mehman si,
marjane chandre o bde beiman si,
o lutde rhe assi vekhde,
rokeya n puchheya gya.
luteya gya haye puteya gya ..........
"raina"kinu apna sunave dukhda,
dil mera ho gya ae tukda tukda,
hun gila shikwa ki kriye,
ae nsib aesa likheya gya .
luteya gya haye puteya gya ......rajender raina"
ओ राज न रेहया ,
ओ काज न रेहया,
किस किस की बात करु,
इब ओ समाज न रेहया। राजेन्द्र  "रैना" 
सिध्धा सध्धा खाणा छोड़ दिया,
तैने दोपहरी का नहाना छोड़ दिया,
रै हरियाणवी तो तेरी मातृ भाषा,
तैने क्यों रागनी गाणा छोड़ दिया। राजेन्द्र "रैना"

Saturday, September 7, 2013

chlna sikh apne hisab se

संडे स्पेशल

चलना सीखो अपने हिसाब से,
सम्भलो लोग हैं कुछ खराब से।
तू शौक से पी दिल बहलाने को,
पर घर मत फूंक लेना शराब से।
ठोस धरातल हो खुद पे यकीन,
चाहे अंदाज हो किसी नवाब से।
गुलाफिशां बातें हो लबों पे हंसी,
महफ़िल में महको तुम गुलाब से।
देखने वाला देखता ही रह जाये,
हुस्न बेपरदा हो जब भी नकाब से
बहक जायेगा"गुमनाम"का दिल,
इस कदर देखो न तुम हिजाब से। राजेन्द्र रैना"गुमनाम"
गुलाफिशां=फूल बिखेरना
हिजाब =शर्म से 
देखो तो प्रधानमंत्री कितने डर रहे है,
मां के सामने बेटे के कसीदे पढ़ रहे है,
कुछ का कहना दाल में कुछ काला है,
मस्का लगा के कुर्सी पक्की कर रहे है।  गुमनाम " 
खेलता हूं कलम से अपने अंदाज में,
दूसरों के हुनर से मुझे क्या लेना। राजेन्द्र रैना गुमनाम" 

nafart ki aag

दोस्तों आप की महफ़िल में आप के लिए

नफरत की आग ने जला दिये घर बहुत,
विकलांग कई हुए कट गये हैं सिर बहुत।
हादसों के दौर में कम ही लोग साबित बचे,
घर से बाहर निकलने में लगता डर बहुत।
भूखे गरीब को एक रोटी भी दे सकते नही,
नाम के लिए मंदिर में दान देते जर बहुत।
सुख में सिमरन नही चढ़ी मस्ती मौज में,
दुःख में देखिये करता फिरता हर हर बहुत।
गद्दारों का तो चाहे खून पानी है हो गया,
मां के दीवाने भारत में सलामत नर बहुत।
वोट पाने को सरकार मोब.टैबलेट बंटेगी,
"गुमनाम"आम आदमी पे लदेगा कर बहुत।राजेन्द्र रैना "गुमनाम"     

Friday, September 6, 2013

ye bta kab kaise

दिल से पढ़ना जी

ये बता अब कैसे मुलाकात होगी,
पर्दे से बाहर आके कब बात होगी।
बंजर हो गई मन की प्यासी धरती,
अर्श को निहारु कब बरसात होगी।
साकी तू खफा है हम राह से भटके,
लगता तब मिलेगे जब रात होगी।
खड़े पैर दे धोखा पीठ पे वार करना,
बेवफा फरेबी ये आदम जात होगी।
तेरे दीद की हसरत मन उदास मेरा,
छाया घना अंधेरा कब प्रभात होगी।
टूट जाये ये बंधन आजाद हो परिंदा,
तब छटे काली"रैना"शुभरात होगी।
सुप्रभात जी   ……… जय जय मां   

charcha kisi mahfil

चर्चा किसी महफ़िल में करेगे जरुर,
मेरे बाद मेरे दोस्त मुझे पढ़ेगे जरुर।
कायम रह जाये दुनिया में याद मेरी,
हम जाते जाते इतना कुछ करेगे जरुर। 
जीते जी तो उसने मेरा हाल नही पूछा,
यकीनन मेरी फोटो से वो लड़ेगे जरुर।
पाक साफ दामन वाले घबराते ही नही,
जालसाज फरेबी आइने से डरेगे जरुर।
थक के जो बैठे उन्हें रह जायेगा मलाल,
हिम्मत वाले तो ऊंची चोटी चढ़ेगे जरुर।
"रैना"उसके घर में तो होता अन्धेर नही,
जैसा भी जो करेगे वो वैसा भरेगे जरुर। राजेन्द्र रैना गुमनाम" 

dil tuta drd huaa

दोस्तों देखना मेरा ये अंदाज

दिल टूटा पीड़ उठे रोते रात भर,
उनकी अदा देखो सोते रात भर।
दिन दिहाड़े लूटा बीच बाजार में,
गम से दो चार हम होते रात भर।
गुजरे लम्हें याद करके अक्सर,
आंसूओं से आंखे भिगौते रात भर।
गल्ती से जब कभी आंख लगती,
सपनों में फिर वो आते रात भर।
दुनिया को जल्दी अलविदा कहदे,
रैना"गम का भार जो ढोते रात भर। राजेन्द्र रैना गुमनाम"  

Thursday, September 5, 2013

mera ik mshhoor punjabi sufi git

ki dssa ki chaj hoya,
jin da n koi paj hoya,
jinddi da ik ik pal majboor lgda hai,
tera ghar ta mainu kafi door lgda hai.
tera ghar ta mainu......................
gila nhi ruswai da,dard hai tanhai da,
mai dosh nhi de skdi tainu beprwahi da,
chann de ishk vich chkaur da dil choor lgda hai.
tera ghar ta mainu ......................
tere ishk vich rangi,tere nal hi mngi ha
swikar kar levi bhave changi ya mndi ha,
maf kar devi mere sjna je kasoor lgda hai.
tera ghar te mainu...............rajinder raina"

punjabi sufi song

sanu jide ji aej n tu mar sjna,
kde sada vi ta kar aetbar sjna,
sanu tere nal ho gya pyar sjan,
assa karna tera hi didar sjna,
kde sada vi ..........................
jin da mksad sada iko khas hai,
bujha leni ik var akha di pyas hai,
mel hona is nhi ta us par sjna.
kde sada vi ............rajinder "raina"

chhup chhup rhta

छुप छुप के रहता,न दिल की कहता।
क्या मजबूरी,क्यों रखी दूरी,
तेरा मेरा सजना मिलन जरूरी,
कम कर दूरी अब कम कर  ……
कहने को साथ रहता हरपल पास है,
नजर न आये तू मोरा मनवा उदास है,
सारे शहर में है बस तेरी मशहूरी।
यही हिया तमन्ना आस कर पूरी।
कम कर दूरी अब कम कर  ……
ऐसा उलझाया मैं परेशान हो गया,
सूरत अपनी देख कर हैरान हो गया,
मैं भटकता हूं जैसे मृग कस्तूरी।
 कम कर दूरी अब कम कर  ……
सुप्रभात जी   …………जय जय मां
  

ishak me fakir

दोस्तों के लिए खास पेशकश 

इश्क में फकीर होना है, 
 रांझे की हीर होना है।
तू मुकद्दर है मेरा,
मैं तेरी तकदीर होना है। 
राहे जिंदगी मुश्किल है,
खुद ही तदबीर होना है।
बहक मत तू होश कर,
मिट्टी ये शरीर होना है।
बन्दे को कैसा भ्रम हुआ,
उसने बसीर होना है। 
डूबने वाला डूब जाये,
किसने नासिर होना है।   
बदकिस्मत रैना"के तो,
आंखों में नीर होना है। 
बसीर =ईश्वर, तदबीर =उपाय 
नासिर =मददगार    

Wednesday, September 4, 2013

मैं थक गया हूं चलने बारे सोच नही सकता,
टूटा चिराग हूं जलने बारे सोच नही सकता।राजेन्द्र रैना "गुमनाम"
 दोस्तों खास युवाओं को ध्यान में रख कर लिखा 
              गीत 
मन की कली जब खिलने लगे,
दिल किसी दिल से मिलने लगे,
छोड़ दिल को दिमाग से काम लेना,
बिन सोचे समझे न दामन थाम लेना।
बिन सोचे   …………… 
इश्क की आग ने जलाये लाखो दिल,
इस शहर में रहते अब जाहिल कातिल,
कौवें हंसों में आजकल हुये शामिल, 
भीड़ में भी तन्हाई सम्भल के चल,
 सिर पे बेवजह न तू  इल्जाम लेना। 
बिन सोचे  ……………… राजेन्द्र रैना "गुमनाम"

Tuesday, September 3, 2013

हमने तो सूरज छुपा रखा अपनी मुठ्ठी में,
वक्त का तकाजा हम मुठ्ठी खोल नही पाये। राजेन्द्र रैना गुमनाम"
हर तरफ बरसता तेरा प्यार है,
दिल मेरा यूं तेरा तलबगार है।
पर्दे में रह कर करे ठिठोलियां,
तू सामने आ तेरा इन्तजार है।
वो कहे है यहां ये कहे है वहां
ये बता कैसे तेरा होना दीदार है।
होता एहसास हरपल तू साथ में,
मेरी हर अदा में सनम शुमार है।
मेरी तबियत भला कैसे हो ठीक,
फिजा ऐसी सारा शहर बीमार है।
इस पार तो तेरा ही राज काज,
क्या ये सच तू रहता उस पार है।
आ"रैना"से कर ले बातें प्यार की,
हमने मान लिया तू मेरा यार है। राजेन्द्र रैना "गुमनाम"
सुप्रभात। .................... जय जय मां 

wqt kat jaye

गर वक्त कटे आराम से और क्या चाहिये,
हो प्रीत उसके नाम से और क्या चाहिये।
छलकते पैमानों ने बेचैन ही कर दिया,
जाम टकराये जाम से और क्या चाहिये।
गर बदनाम हो गये तो हमें कोई रंज नही,
है हमें मतलब नाम से और क्या चाहिये।
चश्म-ए- मय ने रिन्द दीवाना बना दिया 
हम तो गये अब काम से और क्या चाहिये।
मदहोशी के आलम में तो जीना कमाल है,
हम मस्ती में हुये तमाम और क्या चाहिये।
मां रहमत है तेरी बरसे मोती बन अल्फाज,
"गुमनाम हुआ सरेआम और क्या चाहिये। राजेन्द्र रैना गुमनाम" 

jo bchche

खासकर युवा वर्ग को समर्पित मेरी ये रचना

जो बच्चे मां बाप की सेवा करते,
बेशक वो हर हाल में आगे बढ़ते।
धुन के पक्के असफल नही होते,
जो दुःख सहते मेहनत से पढ़ते।
मन के हारे हार मन के जीते जीत,
हिम्मत वाले ही ऊंची चढ़ाई चढ़ते।
गम का मिजाज रोक लेता रास्ता,
मंजिल के दीवाने गम से न डरते।
गद्दारों का काम उन्माद फैलाना,
वफादार मां के बेटे सीमा पर लड़ते।
गौरे छोड़ गये तमाम अंग्रेज काले,
छोड़ भलाई वो तो सब कुछ करते।
गुमनाम"कुछ करके ही दम लेगे,
उनसे कह दो अभी हम नही मरते। राजेन्द्र रैना गुमनाम"



Monday, September 2, 2013

mn ki kli

मन की कली जब खिलने लगे,
दिल किसी दिल से मिलने लगे,
तब दिल से नही दिमाग से काम लेना,
बिन सोचे समझे न दामन थाम लेना।
तब दिल से  …………… 
आतिश-ए-इश्क ने जलाये लाखो दिल,
इस शहर में रहते बहुत जाहिल कातिल,
कौवें हंसों में शामिल हो गये आजकल,
भीड़ में भी है तन्हाई तू सम्भल के चल,
    
मां के प्यारों के लिए

ठन्ठे झरने का जल होता
मां का प्यार निश्छल होता।
मां के प्यार के दरिया का,
कोई भी न साहिल होता।
मां की मुहब्बत का खजाना,
जाहिल को न हासिल होता।
खुदा ने बख्शी ये नयामत,
इन्सां कब इस काबिल होता।
सच्चा इश्क इबादत यारों, 
धोखा फरेब न शामिल होता।
करामात कुदरत की "रैना"
फूल सा मां का दिल होता। राजेन्द्र रैना गुमनाम"
सुप्रभात जी    ……जय जय मां

इक  और ग़ज़ल बहर 
2+1+2+2  2  2+1+2+2      
चेहरे पे मुस्कान रखते,
दर्द दिल में तूफान रखते।
छोड़ कर डर वो बेवजह का,
हम हथेली पे जान रखते।
यूं शहर में तो दबदबा है,
अलग अपनी पहचान रखते।
शान अपनी भी कम नही है,
दूसरों का भी मान रखते। 
बोलता कम ही ठग मसीहा, 
ध्यान सारा दरबान रखते।
मस्त तन मन मदहोश रैना",
छेड़ कर ऐसी तान रखते। राजेन्द्र रैना गुमनाम"
दोस्तों सुनो गे ग़ज़ल तो लो

इश्क में यूं पागल न होना,
तू लहर का साहिल न होना। 
जब उठे गा मेरा जनाजा,
तू गमी में शामिल न होना। 
लोग करते बेकार बातें,
तू कभी यूं जाहिल न होना।
तीर नजरों के तेज होते,
गौर करना घायल न होना।
बात उठती तो दूर जाती,
पार हद से कामिल न होना। 
आज "रैना" हैरान सा है,
अखरता है काबिल न होना।  राजेन्द्र रैना "गुमनाम"
                                                09416076914 
 कामिल =होशियार  

tu khushimn

दोस्तों सुनो गे ग़ज़ल तो लो 

इश्क में यूं पागल न होना,
तू लहर का साहिल न होना। 
जब उठे गा मेरा जनाजा,
तू गमी में शामिल न होना। 
लोग करते बेकार बातें,
तू कभी यूं जाहिल न होना।
तीर नजरों के तेज होते,
गौर करना घायल न होना।
बात उठती तो दूर जाती,
पार हद से कामिल न होना। 
आज "रैना" हैरान सा है,
अखरता है काबिल न होना।  
 कामिल =होशियार  


Sunday, September 1, 2013

हिम्मत ने फर्श से अर्श पर पहुंचाया,
वैसे मेरे  पैरों के नीचे जमीन नही थी। राजेन्द्र रैना गुमनाम 

hone lga mai bda

खुली कविता डर
आप की नज़र

पैदा होते ही होने था लगा डर का असर,
मरने तक डर ने छोड़ी न कोई भी कसर।

मां ने डराया बाप ने, दिन ने डराया रात ने,
सर्दी गर्मी डराती रही, खूब डराया बरसात ने।
मास्टर का डर रहा, झुका हमेशा सिर रहा,
खींच खींच डंडे पड़े, डर के मारे चुप रहे खड़े।
डर डर के हम पढ़े, देखते देखते हो गये बड़े।
मन की कली खिल गई,नौकरी जब मिल गई।
अधिकारी कड़क था,आफिस अपना नर्क था। 
हरपल रहता उसका डर,मिलती न उससे नजर,
बोस से जान छूट गई,शादी हुई किस्मत फूट गई।
ग्रहों का न मिला योग,बीवी बेलन करती प्रयोग।
रोज पड़ते धड़ा धड़,फिर बीवी से लगने लगा डर।
जैसे ही बच्चे हो गये बड़े,डंडे लेकर हुये खड़े।
हम छुपाते फिर नजर,डर से गंजा हो गया सर।
बुढ़ापा मजाक करने लगा, मौत से डरने लगा। 
डर ने मेरा खून निचौड़ा,इक पल पीछा न छोड़ा ।
हे भगवन ये क्या किया,डरने के लिए जीवन दिया। राजेन्द्र रैना गुमनाम

 



 

khel jiwan ko samjh ke

दोस्तों मेरी रचना गौर से पढ़ा करो
 मैं लिखता नही इबादत करता हूं

रास्ते में तो उदासी सी छाई है,
संभल कर चलने में भलाई है।
लुटेरों पे हत्या का शक लेकिन,
सच ये भाई का कातिल भाई है।
फसने के बाद नेता,बाबा कहते, 
ये तो किसी ने साजिश रचाई है।
नारी पे बुरी नजर डालने वाले ने,
अपनी लंका तो खुद ही जलाई है।
द्रोपदी की लाज कृष्ण बचा लेगा,
पर दुर्योधन की जान न बच पाई है।
उठो भारत देश के वीर नौजवानों,
देखो दुश्मन ने फिर आंख उठाई है।
मत खींचो महजब जात की लकीरें,
"रैना"हर हिन्दुस्तानी भाई भाई है।राजेन्द्र रैना "गुमनाम"