मन की कली जब खिलने लगे,
दिल किसी दिल से मिलने लगे,
तब दिल से नही दिमाग से काम लेना,
बिन सोचे समझे न दामन थाम लेना।
तब दिल से ……………
आतिश-ए-इश्क ने जलाये लाखो दिल,
इस शहर में रहते बहुत जाहिल कातिल,
कौवें हंसों में शामिल हो गये आजकल,
भीड़ में भी है तन्हाई तू सम्भल के चल,
दिल किसी दिल से मिलने लगे,
तब दिल से नही दिमाग से काम लेना,
बिन सोचे समझे न दामन थाम लेना।
तब दिल से ……………
आतिश-ए-इश्क ने जलाये लाखो दिल,
इस शहर में रहते बहुत जाहिल कातिल,
कौवें हंसों में शामिल हो गये आजकल,
भीड़ में भी है तन्हाई तू सम्भल के चल,
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