Thursday, February 28, 2013

tark

इस में तर्क वितर्क नही है,
इन्सां इंसा में फर्क नही है।
दिल प्यार का घर लेकिन,
इसमें प्यार का अर्क नही है।"रैना"

teri inayat

दोस्तों सुबह की पहली
 ग़ज़ल यार की खिदमत में,

तेरी इनायत कम नही,
यूं बावफा तो हम नही।
क्या खूब है रहमत तिरी,
है आंख मेरी नम नही।
मर्जी करे अपनी कभी,
आदमी में ये दम नही।
हरपल तुझे तो ख्याल है,
बस याद करते हम नही।
होता गिला तुझसे यही,
बरसे ख़ुशी हरदम नही।
"रैना"कभी तू सोच ले,
तेरी खता भी कम नही।"रैना"
सुप्रभात जी ........जय जय माँ

Wednesday, February 27, 2013

hwa me udta

दोस्तों ये मेरी खुली कविता हम सब के लिए

आसमान में उड़ता रहता है,
नीचे आने को मन नही करता,
आदमी हवाई महल ही बनाता,
वैसे मेहनत जतन नही करता।
अतीत भविष्य की खबर उसको,
फिर भी उसका मनन नही करता।
इच्छायें होती परेशानी का सबब,
उनका फिर भी दमन नही करता।
धार्मिक अनुष्ठान भी नाचना गाना,
इन्सान वहां भी भजन नही करता।
देश में तो विरला होगा कोई ऐसा,
जो नेता भ्रष्टाचार गबन नही करता।
"रैना"वो तो ढूंढने से भी नही मिलेगा,
जो मान मर्यादा का हनन नही करता।"रैना"

aam bjt me whi hona

आम बजट में वही होना है,
अमीरों ने हंसना ?????
आम आदमी ने रोना है।"रैना"

subah se ham tak aaya

सुबह से शाम तक करता

नही अब ख्याल उसका तो,
ढले जब शाम आये याद उसकी सोच ले "रैना। "रैना"
सुप्रभात जी ................जय जय माँ 

bat dil ki man lete

दिल की बातों में मत आना,
वरना दुःख ही हासिल होगा,
रोना पड़ता है फिर तन्हा,
अपना गम खुद शामिल होगा।
चमके तारें अच्छे लगते,
टूटे फिर कोई कब देखे,
आशिक के दुश्मन जग वाले,
दोस्त उसका पागल होगा।"रैना"


insan ke kya khub

इन्सान का क्या खूब धन्धा हो गया,
सब भूल कर
अब झूठ महंगा सच मन्दा हो गया,
तन तो ढपा मन अल्फ नंगा हो गया।
मेरी अपनी बात 

अक्सर कलम को तोड़ता ही रहा,
 अल्फाज बिखरे  जोड़ता ही रहा,
लिखना इबादत बन्दगी है धर्म,
मैं राज दिल के खोलता ही रहा।"रैना"

sagar kinare

माँ की किरपा देखिये

होता मुझे एहसास है,
तू साथ मेरे पास है।
हम भूल सकते ही नही,
मेरा सनम तू खास है।
सागर किनारे बैठे है,
फिर भी लगी वो प्यास है।
इस जिस्म में ही घर तिरा,
बेशक मुझे विशवास है।
"रैना"मुलाकात होगी,
अब पी मिलन की आस है।"रैना"

Tuesday, February 26, 2013

tu mere bare sochta kya nhi

दोस्तों मेरी ये साधारण सी
ग़ज़ल आप की खिदमत में

तू मेरे बारे सोचता क्यों नही,
मेरी गरीबी देखता क्यों नही।
मैं बेवफा इतनी मुझे है खबर,
तू यार मेरा रोकता क्यों नही।
पर्दानशी खुद को छुपा के रखे,
तू राज सारे खोलता क्यों नही।
गर साथ मेरे पास रहता यही,
फिर तू मुझे यूं टोकता क्यों नही।
"रैना"मुसाफिर क्या करे तू मिले,
अब बोल तो कुछ बोलता क्यों नही।"रैना"
सुप्रभात जी ..........जय मेरे मालिक

maiklm

 अक्सर कलम को तोड़ता ही रहा,
 अल्फाज मैं तो जोड़ता ही रहा,
लिखना इबादत है खुदा की सुनो,

ochta hu mai

दोस्तों आप के लिय खास रचना तव्वजो चाहुगा

राहे -इश्क पे  चलना दामन बचा बचा के,
बैठे जमाने वाले अब फन्दें लगा लगा के।
इंसान की फितरत में अब फरेब शामिल,
दिल लगाये हंस के तोड़े आंसू बहा बहा के।
मयखाने में आते रिंद खुद को मिटाने वाले,
आशिक न इक भी माने हारे बता बता के।
ये इश्क देखिये तो किस दर्जा हुआ दीवाना,
वो रूठे यार को मनाये नाच दिखा दिखा के।
अर्ज"रैना"की तू सुन ले अब मेरे प्यारे मौला,
अपनें कदम में रख ले अपना गधा बना के।"रैना"


sade dil de ghar vich

mera sufi klam

sade dil de ghar vich vas sajna,
chup dur khlota na tu has sajna,
aakhiya cho nid udi dil da krara ve,
sanu nag ishke da gya das sajna.
sade dil ......................"raina"

बजट के बारे??????
आम आदमी सोचता ही नही,
क्योकि ?????
वही ढाक के तीन पात????
दाल रोटी महंगी????
ए सी, कार सस्ती।"रैना"

bajt ke

बजट के बारे??????
गरीब सोचता ही नही,
क्योकि ?????
वही ढाक के तीन पात????
दाल रोटी महंगी????
ए सी कार सस्ती।"रैना"

Sunday, February 24, 2013

mai ab logo pe

मिले हर इक मिरे जैसा,
नही मिलता तिरे जैसा।
वही बनती कहानी भी,
मुसाफिर जो मिले जैसा।
शहर में बस तिरे चरचे,
तिरा मुख गुल खिले जैसा।
करम "रैना"भले करना,
मिले वैसा करे जैसा।"रैना"

dharm au jat

दोस्तों इस रचना पे नजर डालना

गर राज छुपा ही रहे तो अच्छा,
जो खुल गया तो हवा में महके गा,
बेवजह ही  जमाना फिर चहके गा।

तू दबा दबा के अपने कदम रखना,
वरना सूखे पत्ते तो अक्सर खड़कते है,
तुम बेखबर नही लोग बात पकड़ते हैं।

तेज आंधी में कभी शमा जलती नही,
गर जलती है तो फिर हाथ जला देती,
जालिम दुनिया भी जलते को हवा देती।

दिल का सौदा महंगा सम्भल के करना,
ये माल ऐसा बिक के वापिस नही होता,
गर होता फिर लैला रोती न मंजनू रोता।

"रैना"लिखना भी खुदा की इबादत होती,
तू कलम अपनी जमाने के नाम करदे,
दीवाना हुआ उसका चर्चा सरेआम करदे।"रैना"

jo tu khd ko

 दोस्तों कविता का नया रंग देखे 

दिल टूटा ये कहना भूल है,
आइना भी नही ना फूल है।
तीर दिल पे लगे मर जाये,
नजर तीर नही चुबे शुल है।
आज के आशिक ये कहते,
पाक इश्क करना फिजूल है।
जो पाक मुहबत कर बैठे, 
उनकी कब्रों पे उडती धूल है।
इस दौर की सोच ही उलटी,
वो पागल जो बाअसूल है।
गुस्सा भी बड़ी इक बीमारी,
तभी "रैना" तो रहता कूल है।"रैना" 

Saturday, February 23, 2013

bhul gye

यार से गुस्ताखी माफ़ करने की अर्जी

तुझ से गिला ये रंज रहा,
करता नही आबाद हमें,
तेरी वफा तो भूल गये,
अपनी खता कब याद हमें।
अपनी खता .................
सब कुछ दिया गुलजार किया,
कोई कमी भी छोड़ी नही,
हम बेवफा बेख़ौफ़  कहे,
कर दिया बरबाद हमें।
अपनी खता .................
हम क्या करे दिलदार बता,
कैसे अदा हो प्यार वफा,
"रैना"कहे अब मेरे सजन,
करनी फकत फरियाद हमें।
अपनी खता ................."रैना"
सुप्रभात जी ..........जय मेरे मालिक की

koi rch rha

वादा किया फिर भी निभा न पाये
हमदम उसे अपना बना न पाये,
यूं ख्वाब अक्सर देखते रहे हैं,
इक ख्वाब भी पर हम सजा न पाये।"रैना"

अरे बम फोड़ने से क्या होगा,
हम एक है एक रहेगे,
सोच ले हमारे नेता सुधर गये
तेरा क्या हश्र  होगा।"रैना"

इस हल्की फुलकी
कविता को देखिये जी

बस दिल की दुकान बंद है,
वैसे तो बहुत ही आनन्द है,
 बस बीवी से नही बनती,
 बेशक होता रोज द्वद है।
देश सोने की चिड़िया पर,
नेताओं ने फैलाया गंद है।
हिंदी के हम धुरंधर कवि,
लिखना न आता छंद है।
गीत,ग़ज़ल,दोहे शेर पढ़ो,
ये अपनी अपना पसंद है।"रैना"



ye dil kash

दोस्तों देखे ग़ज़ल आप को कैसी लगी

आज के इस दौर में इन्सान चिन्तित है बड़ा,
दरद सहता बेहिसाबा सेज पे भीष्म पड़ा।
तोड़ पिंजरा परिन्दा उड़ भी नही सकता अभी,
क्या करे जाये कहां ये सोच चौराहे खड़ा।
बैर भाई अब यूं करे गौना विभीषन हो गया,
खून के रिश्तें बड़े मतलब बिना है क्या भला।
आग जलती देख कर यूं हाथ सारे सेकते,
हम बुझाये आग क्यों फिर घर जला उसका जला।
इश्क में मतलब जमा शामिल हुआ अन्दाज से,
हीर रांझा भूल जाते है वफा का क्या सिला।
सोच अपनी हम बदल पाये नही रफ्तार से,
छोड़ कर तेरा नगर मायूस अब "रैना"चला। "रैना"



Friday, February 22, 2013

fir uthhi aag

मेरी खुली कविता

फिर उठी  हैं आग की लपटें
फूटे बम लगे लाशों के ढेर,
इसकी गलती उसकी गल्ती
पुराना राग वही शुरू है फेर।
गड़ियाल आंसू बहाने लगे,
निर्दोष खुद को बताने लगे,
अपने अपने जला के चूल्हें,
वोटों की रोटी पकाने लगे।
माँ से पूछो क्या हुआ बेटे को,
बहन से पूछो क्या हुआ भाई को,
भारत देश के ये गद्दार मसीहा,
पकड़वा नही सकते कसाई को।
इस बम धमाके में देखो तो,
सिख इसाई हिन्दू न मुसलमान मरा है,
जो भी मरा है वो इक इन्सान मरा है।
बंद करो ये नफरत की लीला,
ये जुल्म और नही अब सह सकते,
कहे "रैना" बाज आ जाये मसीहा,
वरना भारतवासी चुप नही रह सकते।"रैना"

   

sima ne



सीमा ने सीमा में रह कर,
हर सीमा को पार किया,
जिन्दगी से इजहार किया,
इकरार किया, प्यार किया,
हर मुश्किल को गले लगा,
ख़ुशी से स्वीकार किया।
सीमा ने सीमा .................
पथरीली राहों पे चलना सीखा,
सुरखरू होने को जलना सीखा,
रोशन कर दी हमने महफ़िल
पर शमा सी न पिघलना सीखा 
तप में लीन मीरा की मस्ती,
 सब्र से बरसों इंतजार किया।
सीमा ने सीमा ...................
जीवन उसका उपहार यही माना,
हर मसले को बड़े करीब से जाना,
बेशक हमने कर के ही दिखाया,
मैंने मन में जो भी करने को ठाना,
असूलों में बंधे रह कर अक्सर,
यूं ख्वाबों का महल तैयार किया। सीमा शर्मा 

Thursday, February 21, 2013

bhart desh me

विडम्बना

देश में गोलियां चलती,बम फूटते ही रहते है,
क्योकि बम फोड़ने वाले अब तो सदन में बैठे है।
जनता को बहकाने को ही इन के अलग धड़े हैं,
सही मायनों में ये सब एक ही किश्ती पर चढ़े हैं।
कहने को ही देश के प्रति इनका मन कुछ नर्म है,
वैसे देश को लूटना ही इन सब का एक ही धर्म है।
तुम"रैना"की बातों में रत्ती भर भी झूठ न पाओं गे,
नेताओं का रिकार्ड चैक करो गे तो मान जाओं गे।"रैना"

dil lka auda mhnga

दिल का सौदा है महंगा,
जल्दी में मत कर लेना,
आशिक रांझे दीवाने,
गलियों में धक्के खाते।"रैना"

lfjo ka driya khahi

दोस्तों अपने दिल की बात कह रहा हु
 इस रचना में गौर फरमाए

लफ्जों का दरिया कही से आता है,
लिखता नही मैं कोई लिखवाता है।
अक्सर मुझे हर गम से दूर करता है,
लिखने के लिए बेहद मजबूर करता है .
कोई मेरी सोच को नई उड़ान देता है,
थके हारे पंछी के पंखों में जान देता है।
दुनिया में कभी तो खुद में खो जाता हूं
ख़ुशी कभी गम के करीब हो जाता हूं।
सब कुछ कहता फिर भी वो मौन है,
पता इस घर का मालिक वो कौन है।
जो मेरा हाथ पकड़ कर चलाता कलम है
"रैना" वही हमदम मेरा साजन बलम है। "रैना"

khud ko

बीवी की शिकायत पर बनी,
 इक रचना देखिये।

रात के बारह बजे,
नैन अब सोने लगे।
छोड़ दो अब तो कलम,
मान भी जाओ बलम।

खा तरस कुछ हाल पर,
गौर कर तू ख्याल पर।
सुन पिया तू सुन पिया,
बोर हमको क्यों किया।
मैं अकेली सो रही,
मैं न तेरी वो रही।"रैना"




Wednesday, February 20, 2013

मज़बूरी
अब किसी आफिस में???
काम करवाने के लिए जाने से पहले,
ये जान ले ????
आफिस की खिड़कियाँ कितनी है,
काम करवाने में आसानी होगी।"रैना"
घोर काली रात है,
दोस्तों के नाम खुली कविता सेमी ग़ज़ल

लगता वही से सीख के आ रहे,
अब तो बच्चें भी टंका लगा रहे,
कैसे करे बड़ों का मान सम्मान,
देखते भी ऐसा ही अन्न खा रहे।
मास्टर भी परेशान अब क्या करे,
बच्चें तो उल्टा उसी को पढ़ा रहे।
हम आदिवासी थे करने लगे सिद्द,
तभी तन से कपड़े घटते जा रहे।
औरों को देते खूब सलाह मशवरा,
"रैना"खुद को कभी न समझा रहे  "रैना"

gazl sochta

मेरी किताब की मेरी पसंद की
ग़ज़ल आप को कैसी लगे गी,

सोचता तो और कुछ,
                             हो रहा कुछ और है,
अब घड़ी मुश्किल बड़ी,
                               आदमी कमजोर है।
बाप बेटे से दुखी,
                         हाल से बेहाल मां,
प्यार मन में ही नही,
                           बेवजह का शोर है।
इश्क में मुश्किल बड़ी,
                             अब वफा मिलती नही,
क्यों गिला शिकवा करे,
                              बेवफा ये दौर है।
अब सियासत में वही,
                            मार सकता तीर है,
बेशर्म जो बेहया,
                      घाघ शातिर चोर है।
रात होनी है अभी,
                        सोच ले "रैना"कभी,
उठ मुसाफिर चल दिये,
                              क्यों न करता गौर है। "रैना"




दोस्तों जिनका आज जन्म दिन है
उनको रैना" का तोहफा

मेरी दुआ मन्जूर ये फरियाद हो,
गुलशन तिरे उन ख्वाब का आबाद हो,
मांगे खुदा से खैरअब "रैना"यही,
शुभ जन्म दिन लख लख मुबारख बाद हो। "रैना"
सुप्रभात जी .........जय जय माँ
दोस्तों जिनका आज जन्म दिन है
उनको रैना" का तोहफा

मेरी दुआ मन्जूर ये फरियाद हो,
गुलशन तिरे उन ख्वाब का आबाद हो,
मांगे खुदा से खैरअब "रैना"यही,
ये जन्म दिन लख लख मुबारख बाद हो। "रैना"
सुप्रभात जी .........जय जय माँ 
जमाने से जुदा,
बनाओ मत खुदा,
इन्सान को। 

वो दिल में रहने का वादा करके,
देखो अब सूना घर छोड़े जाते। "रैना"  

किरायेदार पे विशवास हरगिज मैं नही करता,
कभी भी चल पड़े ये छोड़ घर सूना निपट खाली।"रैना"
आज का नेता??
विवादों से घिरा है,
मात्र इसलिए ???
जनता की नजर से गिरा है,
गर नेता अपना दामन???
पाक साफ बनाएगा,
फिर देवता??
की तरह पूजा जायेगा।"रैना"

face book pe khub mahki

"खुश्बू राजस्थान की" ग्रुप को
साल गिराह पर रैना का तोहफा

दोस्तों की मेहरबानी,
 बात गौरव मान की,
फेस बुक पे खूब महकी,
 खुश्बू राजस्थान की।
खुश्बू राजस्थान की .....
ज्ञान औ विज्ञान की बाते,
फ़िल्मी योग ध्यान की बातें,
हर पहलू पे होती चर्चा,
आदर और सम्मान की,

फेस बुक पे खूब महकी,
 खुश्बू राजस्थान की .......
आओ सालगिराह मनाये,
गीत ख़ुशी के नाचें गाये,
असीम,विजय,शशी संजय,
किरपा हुई है भगवान की।

फेस बुक पे खूब महकी,
 खुश्बू राजस्थान की।"रैना"


Tuesday, February 19, 2013

यही तो गम हम संजीदा न हुये और जिन्दगी गुजर गई।

दिल लगाने की खता मत करे,
इश्क के रोगी भिखारी बने।"रैना"

 असूलो से न बाहर ही निकल पाया,
उठा कर ले गये बच्चे कलम मेरी।"रैना"

कसमें वादें तो कच्चें झूठे हैं।
अरमानों की बदकिस्मत टूटे हैं।"रैना"

माँ रात भर रोती रही उसके लिये,
सोया रहा बेटा किसी के आगोश में।"रैना"

अब सूखे आँखों के झरने,
ढोंग रोने का हो कैसे। ""रैना".

dharti ki shan

रैना की ये कविता पेड़ों की शान में

धरती की शान हैं पौधे,
जीवों की जान हैं पौधे।
फल फूल छाया भी देते,
बड़े ही दयावान हैं पौधें।
गर्मी सर्दी वर्षा भी सहते,
धर्यशील महान हैं पौधें। 
बेशक हम सब जाने हैं,
देते जीवन दान हैं पौधें।
आओं और पौधें लगायें,
दुःख का समाधान हैं पौधें।
"रैना"ये तू भूल न जाना,
पूज्य हमारे भगवान हैं पौधें। "रैना"

Monday, February 18, 2013

jo kuchh tune kiya

जिन्दगी का तोहफा ऐसे न मिलता,
अब मिला ये तोहफा तो बाग महका।"रैना"
सुप्रभात जी  ..............जय मेरी माँ

इबादत में शरारत तो नही होती,
शरारत में इबादत भी नही होती,
बदल चूका जमाना चेहरा अपना,
बसी दिल में मुहब्बत ही नही होती।"रैना"
ibadat me shrarat to nhi hoti,
shrarat me ibadat bhi nhi hoti,
badl chuka jmana chehra apna,
bsi dil me muhbbt hi nhi hoti."raina"





nam likh ke mitana

dosto meri kitab ki gazal jise gazal singer
jitender raj ga rhe hai uske do sher pesh kar rha hu

नाम लिख लिख के मिटाना,राज क्या है ये बता,
सोचना औ मुस्कराना राज क्या है ये बता।
कौन तेरा अब यहां तू  दो घड़ी तो सोच ले,
पास आकर दूर जाना राज क्या है ये बता। "रैना"
nam likh likh ke mitana raj kya hai ye bta,
sochna au muskrana raj kya hai ye bta,
kaun tera hai yha tu do ghdi to soch le,
pas aa kar dur jana raj kya hai ye bta."raina"

Sunday, February 17, 2013

khud se kbhi puchh

खुद से कभी तो पूछ ले तू हाल अपना,
क्या बात है रखते नही तुम ख्याल अपना।
गुस्सा अजल का भी सबब है खास "रैना"
अक्सर रखे तू चेहरा क्यों लाल अपना।"रैना"
सुप्रभात जी  ..............जय हो मेरी माँ 

khuda ki nyamat

बेटियों को समर्पित चार लाइनें

खुदा की नमायत प्यारी बेटी,
गुणों से सजाई संवारी बेटी,
इसी की महक से महकती दुनिया,
सुबह की इबादत हमारी बेटी। .........."रैना"

chehar sach bolta

चेहरा सच बोल देता,
राज अक्सर खोल देता,
मैं छुपाऊ दर्द कैसे,
झूठ बोले मर्द कैसे।"रैना"

दोस्तों के नजर

मेरे हंसने मुस्कराने पे न तू जा,
हाल मेरा देख तो दिल में उतर कर,
मैं गिला कर भी नही सकता कभी यूं।
शौक से चाहे जिते भी गम नजर कर।
मेरे होठो पे सजे बस नाम तेरा,
है गुजारिश इश्क का दिल पे असर कर।
आस है उम्मीद बाकी जान हिम्मत,
बर्फ़ पिगले गी कभी रैना"सबर कर।"रैना"



Saturday, February 16, 2013

yun gilaa kaisa

यूं गिला कैसा,
हैं करम जैसा,
कब फर्क "रैना"
सब मिला वैसा।"रैना"
सुप्रभात जी .....जय जय माँ 

kyo gila ho

  दिल लगाने की सजा,
 मिल गई मुझको कजा,
 क्यों गिला हो किस लिये,
 ये उसी की है रजा। ......."रैना"

gar rulana

दोस्तों फिर बैठ गया लिखने ग़ज़ल
आप का आशीर्वाद चाहुगा।

गर रूलाना था सनम फिर क्यों हंसाया किसलिये,
बाग़ था महका हुआ क्यों यूं जलाया किसलिये।
खेल इस तकदीर का समझा नही कोई अभी,
अर्श पे चमका सितारा क्यों गिराया किसलिये।
याद तेरी बावफा रखती नही दूरी कभी,
बेवफा तुम हो चले ये जुल्म ढाया किसलिये।
सोचता अपनी सदा दुःख और का कब देखता,
आदमी ने आदमी को क्यों सताया किसलिये
बेखबर जलता रहा अपनी लगाई आग में,
बैठ कर सोचा नही इन्सान आया किसलिये।
अलविदा "रैना"चले अब छोड़ तेरा ये नगर,
मौत बिन मरते रहे क्यों दिल दुखाया किसलिये।"रैना"

Friday, February 15, 2013

soch raina rah

दोस्तों पेशे खिदमत है इक नये रंग की रचना,

बात अब बनती नही,राम चौराहे खड़े,
चाल रावण चल गया,जानकी अब क्या करे।

जी रहे उस हाल ज्यों बाग में सीता डरी,
राक्षस खूंखार हैं,बेअजल कैसे मरे।

कौरवों के राज में,सच कहे तो पाप है,
चम्मचों की फ़ौज हैं,अब विधुर कैसे लड़े।

दूर तक देखो कभी,स्याह काली रात है,
सोच "रैना"राह में,रौशनी कैसे करे। "रैना"
सुप्रभात जी ........जय मेरी माँ


jab hui meri shadi

दोस्तों 17 फरवरी को????
अपनी शादी की 23वी वर्षगांठ है।
अडवांस में अपने अनुभव बता रहा हूँ जी
आप की सहानुभूति चाहुगा जी
 
जिस दिन हुई मेरी शादी ????
हम खुश ही बड़े थे,
अब एहसास हो रहा है की,????
हम फूलों से सजी???
कार रूपी अर्थी पे चढ़े थे।
आप पूछेगे ????
शादी के बाद हम क्या कर रहे है,
पिछले 23 वर्षों से ???
गधे की तरह बोझ ढो रहे,
थोड़े थोड़े हर रोज ???मर रहे है।
23 वर्षों की अपनी यही कमाई है,
बीवी के हाथों की रोटी कम,
मार ज्यादा खाई है। ....."रैना"
मेरी एक खुली व्यंग्य कविता 

चाहे खेल के मैदान में हमने हर मैच हारा है,
मगर घोटाला विश्व चैम्पियन देश हमारा है।
महान हमारे नेता क्या खूब जलवा दिखा गये,
ऋषियों के देश को घोटाला चैम्पियन बना गये।
देखिये हमारे नेताओ ने क्या खूब हाजमा पाया है,
कुछ न बिगड़ा जी भर के कोयला चारा खाया है।
कुछ ने तोपों,टैंको,हवाई जहाजों से गोले मारे है,
अब हैलीकापटर के नाम पर नेताओं ने डकारें है।
वाह दंग देश वासी नेताओं का कमाल देख कर,
मुश्किल में है सी बी आई अपना हाल देख कर।
रैना"बेशक हमारे नेताओं ने महान काम किया है,
देश को विश्व चैम्पियन बनाने में योगदान  दिया है। "रैना"

ghotala champain

चाहे खेल के मैदान में हमने हर मैच हारा है,
मगर घोटाला चैम्पियन भारत देश हमारा है।
महान हमारे नेता क्या खूब जलवा दिखा गये,
ऋषियों के देश को घोटाला चैम्पियन बना गये।
देखिये हमारे नेताओ ने क्या खूब हाजमा पाया है,
कुछ न बिगड़ा जी भर के कोयला चारा खाया है।
कुछ ने तोपों,टैंको,हवाई जहाजों से गोले मारे है,
अब हैलीकापटर के नाम पर नेताओं ने डकारें है।
वाह दंग देश वासी नेताओं का कमाल देख कर,
मुश्किल में है सी बी आई अपना हाल देख कर।

Thursday, February 14, 2013

dil tut ke bikhra

टूट के दिल बिखर गया मेरा,
दूर चिन्ता फिकर गया मेरा।

yu saj daj ke

पेश है ग़ज़ल दोस्तों

तुम हसीं हो मस्त तेरी ये अदा है,
 सादगी पे तेरी मेरा दिल फ़िदा है।
दीद तेरे की तलब मिटती नही अब,
 बावफा क्यों दूर हम से तू जुदा है,
सोचते है बैठ तन्हा याद करते,
रूठता क्यों किसलिये अपना खुदा है।
क्यों गिला शिकवा करे उस किसी से,
दिल लगाने की मिली"रैना"सजा है। "रैना" 

kla ki devi maa

माँ सरस्वती वन्दना,
कला की देवी माँ सरस्वती लाज मोरी रख लीजे,
मैं अज्ञानी ना समझ हूँ बालक मुझ पे कृपा कीजे। 
लाज मोरी रख लीजे ...................  
सुर औ ताल का ज्ञान न मोहे,
कड़वी मोरी वाणी,
कंठ विराजो माँ कल्याणी,
ज्ञान का मोहे वर दीजे।
लाज मोरी रख लीजे .................
सात सुरों में बांधा तूने,
जग संसार ये सारा,
मोरे मन में गहन अँधेरा,
रोशन मन मोरा कीजे।
लाज मोरी रख लीजे ......................
"रैना"आया शरण में तेरी,
श्रदा सुमन मन लेकर,
हाथ जोड़ के करता विनती,
मोहे चरणों में रख लीजे।
लाज मोरी रख लीजे ........."रैना"

sita ka to

सीता का राम ही वरण करे गा,
रावण हर दौर में हरण करे गा,
उसको को तो कभी ख़ुशी न मिले,
"रैना"जो और से जलन करेगा। "रैना"
सुप्रभात जी ...........जय मेरे मालिक की।

hme sab ko

बेशक देश में
मोदी नाम के चर्चे ???
हर जुबान पर,

मेरी राय ????
हमें अपना भ्रम ???
मिटाना चाहिए,
नरेंद्र मोदी को????
इक बार देश का ????
प्रधानमन्त्री????
जरुर बनाना चाहिए,
ताकि हमें पता लगे????
मोदी देश के लिये????
क्या करे गे,
या औरों की तरह सीढिया????
पकड़ पकड़ चढ़े गे।
जोर से बोलने में डरे गे।
वैसे मोदी की काफी मशहूरी है,
इसलिए उन्हें अजमाना जरूरी है।"रैना"
जय जय जय ...............

aoron ko dukh

दोस्तों आप की नजर
एक गीत कर रहा हूं
तव्वजो चाहू गा।

औरों को दुःख देने वाले,
फिर तू कैसे बच जाये गा,
कर युग है ये मेरे प्यारे,
करनी का फल तो पाये गा।
तू कैसे बच ..................
माँ पे की जो करते सेवा,
फूलों जैसे वो खिलते हैं,
चन्दन जैसी खुश्बू महके,
खुश जीवन में सुख मिलते हैं,
"रैना"अपनी चिन्ता कर ले,
वरना तू भी पछताये गा। ......."रैना"

Wednesday, February 13, 2013

phle ham

वैल्टाईन दिवस पर इक खुली कविता "कड़वा सच"

पहले हम वैल्टाईन दिवस कभी नही मानते थे,
फिर भी प्यार के रिश्तें बड़ी शिद्दत से निभाते थे,
अब वैल्टाईन दिवस तो बड़ी शिद्दत से  मना रहे है,
प्यार के रिश्तों से मतलबवस  कोसो दूर जा रहे है,
फिर हम वैल्टाईन दिवस का क्यों शोर मचा रहे है,
"रैना"अपनी संस्कृति को क्यों आघात पंहुचा रहे है।"रैना"

jb khud

खुद खुद को हम जाने गे,
तब उस को पहचाने गे,
उल्फत की भिक्षा मिलती,
जब हम गलियां छाने गे।"रैना"
सुप्रभात जी ...... जय मेरे मालिक की।

bewfai tu kre hai

दोस्तों ये वफा की इन्तहा है,

तुम बेवफा जो हो गये,
फिर यूं वफा हम क्यों करे।
जीते नही तुम साथ में,
तेरे लिये फिर क्यों मरे।"रैना"
tum bewfa jo ho gye,
fir yu wfa hm kyo kre,
jite nhi tum sath me,
tere liye fir kyo mre."raina"

yar barmbar rona

यार बारम्बार रोना तो बड़ा मुश्किल लगे,
तंगदिल बेदर्द दुनिया में न अब दिल लगे,
तू खफा जब से हुआ मेरे सनम बावफा,
बिन तिरे वीरान सूनी बज्म महफ़िल लगे।"रैना"

Tuesday, February 12, 2013

jisne aana

दोस्तों चलते चलते पेश है,

 जिसने आना उसने जाना,
 गम से है फिर क्यों घबराना,
जैसे आया वैसे जाये,
"रैना" दिल को ये समझाना।"रैना"

khwab tut jate

ख्वाब अक्सर टूट जाते हम सजाते नही,
यार धोखेबाज अब तो हम बनाते नही।"रैना"

Monday, February 11, 2013

shuru kr de dil

दोस्तों इक और गीत हम सब के लिए।

चाहे तीरथ कर मत छोड़े खाना,
गर तूने है वो असली सुख पाना,
क्यों समझे तू अपने को बेगाना,
शुरू  कर दे मन के घर आना जाना।
शुरू कर दे ......................
तुझको इस दर उस दर है क्या मिलना,
इस पतझड़ के गुल का मुश्किल खिलना,
जलता दीपक "रैना" बन परवाना।
शुरू करदे ...................................."रैना"
सुप्रभात जी ............जय मेरे मालिक

mere git ki do linew

दोस्तों इक गीत की दो
लाइन अर्ज कर रहा हु।

खुद से पूछा हमने जो,
ये बता तू कौन हैं,
कोई कुछ नही बोलता ,
सारा घर ही मौन है। "रैना"

दोस्तों बड़ी साधारण सी ग़ज़ल।
कुछ बदलने के बाद देखे,

आज फिर वो बहुत याद आये,
क्या सबब है न हम जान पाये
घर जला कुछ बचा ही नही है,
किस लिये जिन्दगी गीत गाये।
जब चले तब कहीं बात बनती,
गौर कर राज मुश्किल बताये।
दूर तक रौशनी ही नही अब,
क्यों नजर आ रहे साथ साये।
आदमी अब बहुत ही डरे हैं,
जिन्दगी से खफा तंग आये।
हम गिला ही करे क्यों किसीसे,
चांदनी ही मिरा घर जलाये।।"रैना"

Sunday, February 10, 2013

दोस्तों बड़ी साधारण सी ग़ज़ल।

आज वो फिर हमें याद आया,
क्या सबब है न मैं जान पाया।
वो पुरानी अदा ढंग वैसे,
सोचता ही रहा देख साया।
आदमी अब बहुत ही डरे है,
जिन्दगी से खफा तंग आया।
हम गिला ही करे क्यों किसी से,
चांदनी ने मिरा घर जलाया।"रैना"

ik chehra

आज वो फिर हमें याद आया,
क्या सबब है न मैं जान पाया।

सोचता ही रहा देख साया।
आदमी अब बहुत ही डरे है,
जिन्दगी से खफा तंग आया।

tu kre ga

 जो करे गा तू वहां के लिये,
वो करे गा फिर यहां के लिये,
साथ कुछ भी तो नही जा सके,
अब बता जोड़ा कहां के लिये।
शाम ढलने को पंछी उड़ चले,
गौर कुछ कर ले वहां के लिये।
क्यों लगी रहती तुझे यूं फ़िक्र,
कुछ करे "रैना" जहां के लिये।"रैना"
सुप्रभात जी ........जय माता की


chod masti

छोड़ मस्ती तेरी हस्ती तो फना होगी,
याद रख ये जिन्दगी भी बेवफा होगी,
उस अदालत में न दे कोई गवाही भी,
कैद परिंदे को कहीं बढ़ के सजा होगी।"रैना"  

Saturday, February 9, 2013

dil lgane ki

दोस्तों गज़ल का असर
 दिल पर हो जरुर बताना
 कलम और पैनी करेगे।
मेहरबानी जी,

दिल लगाने की खता हो गई,
जिन्दगी अपनी सजा हो गई।
इश्क भी अब बेवफा कम नही,
हुस्न की फितरत दगा हो गई।
दोस्तों पे नाज करते नही,
दोस्ती भी अब कजा हो गई।
राज दिल का खोलते ही नही,
ये जमाने की अदा हो गई।
दर्द रांझा अब दिखाये किसे,
हीर उसकी बेवफा हो गई। 
खत्म"रैना"जिन्दगी का सफर,
मौत अपनी हमनवा हो गई।"रैना"

vo firag dil

दोस्तों मेरी खुली कविता आप के नाम

वो फिराग दिल,
इन्सान को हंसाने की सोचता,
उसे पथ भ्रष्ट होने से रोकता।
मगर इन्सान बाज नही आता,
पथ भ्रष्ट अक्सर  हो ही जाता।
सुख की खोज में पाता दुःख,
क्योकि रहता उससे विमुख,
जिसने बक्शा सबकुछ दिया,
उसके लिए हमने क्या किया।
किया  छल कपट धोखा बैर द्वेष,
फिर और क्या बचा है अब शेष।
हरगिज ऐसे सुख नही मिलता,
सूखे तालाब में कमल न खिलता।
इसे भक्ति रूपी जल भर झील बनाओ,
जब इस में श्रदा के कमल खिले अनेक,
"रैना"तब तुम्हे सुख मिलेगा प्रत्येक।"रैना"
सुप्रभात जी दोस्तों प्यार से बोलो ?????
भारत माता की जय।


hm yar ki bato

 सारा शहर है मेरे जैसा,
 कोई नही है तेरे जैसा।
तू तो सुबह का नूर लाली,
मैं स्याह शब अन्धेरे जैसा।"रैना'

sau bars ki

दोस्तों मेरे दिल का शेर आप को अच्छा लगेगा।

सौ बरस की जिन्दगी हो तमन्ना ही नही,
चार दिन में ये चमन गुलजार कर दे खुदा।"रैना"

kahani khtm

दोस्तों फिर लिखने बैठा ग़ज़ल पेश है,

इश्क का अब मचा शोर है,
दिल यहां आंख उस और है।
क्यों गिला तू करे किस लिये,
चल पड़ा बेवफा दौर है।
कौन देगा गवाही बता,
खौफ दिल में बसा चोर है।
आज मतलब बड़ा हो गया,
सच वफा ढूँढ़ती ठोर है।

आदमी पिस रहा निरन्तर,
चैन पल भर नही गौर है।

रैन दिन है तड़फ बेबसी,
नाच कर रो रहा मोर है।"रैना"




Friday, February 8, 2013

gardish ke

गर्दिश में भला अपने क्यों दुआ देगे,
गर्मी में तो पंखें भी गर्म हवा देगे।"रैना"
gardish me bhla apne kyo duaa dege,
garmi me to pankhe bhi garm hwa dege."raina"

tu kbhi

तू कभी सामने आ छुपे रूस्तम,
अब मुझे तेरे दीदार की हसरत,
है तलब प्यास दिल को लगी हरदम,
कर रहम है जवां प्यार की हसरत।"रैना"
tu kbhi samne aa chhupe rustam,
ab mujhe tere didar ki hasrat,
hai talb pyas dil ko lgi hardam,
kar rahm hai jwan pyar ki hasrat.."raina"
good morning ji    suprbhat ji

Thursday, February 7, 2013

mere sine

बेशक कुछ करना पड़ता है,
जीने को मरना पड़ता है।
ऐसे में कीमत कम लगती 
आतिश में जलना पड़ता है।
"रैना"दिल का क्या पागल है,
खुद से ही लड़ना पड़ता है।"रैना"
आज वो 
बेवजह तकरीर क्यों करता,
गौर कर तहरीर वो लिखता,
बेखबर तू जानता सब कुछ,
जिन्दगी तकदीर वो लिखता। "रैना"

meri kmi tujhko khle

मेरी कमी तुझको खले मुश्किल लगे,  
तेरे बिना जीना हमें हरगिज नही।"रैना"

Wednesday, February 6, 2013

tanha baitthe

 दोस्तों मेरी किताब की आखिरी प्यारी गज़ल
 इस के बाद ग़ज़ल आप मेरी किताब
खरीद कर पढ़ पायेगे 

तन्हा बैठे क्या सोचें है,
प्यासी आंखें क्या खोजें है।
मुखड़ा तेरा पीला पीला,
पलकों पे आंसू रोके है।
उल्फत के रस्ते मत चलना,
इस रस्ते धोखें धोखें हैं।
गिनती करना मुश्किल होता,
दिल पे लगती इतनी चोटें हैं।
बैठा तिनके तोड़े जोड़े,
जादू टोने क्या होते हैं।
महफिल में तुम हंसते रहते,
तन्हाई में क्यों रोते है।
"रैना"को बस इतना कहना,
आशिक तो पागल होते है।"रैना"

mchi hahakar dekho

 देश वासियों के नाम
मेरी कलम से इक सुझाव।

मची हा हाकार देखो???
भला और कब जागों गे।
जब लुट जाएगी दिल्ली,
गोलें फिर खाक दागों गे,,
जानो वोट की ताकत,
छोडो धर्म का ये झगड़ा,
बनाया नेताओं ने मुर्ख,
सारा ही वोट का रगड़ा,
सब ने मिल  के रहना हैं,
घर छोड़ कहां भागो गे।"रैना"




jindgi pe

रंग विषय पर विशेष ग़ज़ल
तव्वजों चाहुगा जी,

जिन्दगी पे हुआ करम तेरा,
भूल सकते नही रहम तेरा,
काश तेरी लगी लगे दिल पे,
रंग मुझ पे चढ़े सनम तेरा।
क्यों परेशां भटक रहा तन्हा,
इश्क उससे यही धरम तेरा।
दूर होते तभी झमेले हैं,
आदमी जब मिटे भरम तेरा।
डूबते की मदद इबादत है,
भूल जाना नही धरम तेरा।"रैना"

Tuesday, February 5, 2013


इक और ग़ज़ल मेरे दोस्तों के नाम

हाल दिल का सुना नही सकते,
जख्म ऐसा दिखा नही सकते।
आंख खुलती नही चटक जाता,
ख्वाब टूटा सजा नही सकते।
बावफा हम सनम करे दावा,
चीर कर दिल दिखा नही सकते।
खींच टांगें सजन गिरा देते,
देख हंसतें उठा नही सकते।
रुठ जाते बुरी अदा उनकी,
बाज बेशर्म आ नही सकते।
रात होती चिराग जल उठते,
याद तेरी भुला नही सकते।
छोड़ बस्ती चलो चले "रैना"
भार गम का उठा नही सकता। "रैना"

हाल दिल का सुना नही सकते,
जख्म ऐसा दिखा नही सकते।
आंख खुलती नही चटक जाता,
ख्वाब टूटा सजा नही सकते।
बावफा हम सनम करे दावा,
चीर कर दिल दिखा नही सकते।
खींच टांगें सजन गिरा देते,
देख हंसतें उठा नही सकते।
रुठ जाते बुरी अदा उनकी,
बाज बेशर्म आ नही सकते।
रात होती चिराग जल उठते,
याद तेरी भुला नही सकते।
छोड़ बस्ती चलो चले "रैना"
भार गम का उठा नही सकता। "रैना"

prsha kya hai

वर्षा क्या है???????
बिछुडों के आंसू,?????
धरती से ????
मिलने को तड़फे ?????
बादल ??????
दिल हल्का करने को ?????
छलका देता आंसू।"रैना"

Monday, February 4, 2013

sambhl ke kdmo

दोस्तों इक गीत
आप की नजर कर रहा हु
आप की तव्वजो चाहू गा।

 सम्भल के कदमों को रखना,
हैं मुश्किल राहें उल्फत की,
उफ़ मतलब के सब रिश्तें हैं,
दुनिया दुश्मन मुहब्बत की।
सम्भल के ........................
जो दिखता अब वो बिकता है,
ये फारमुला ही चलता है,
चढ़ते सूरज को सब देखे,
क्या मतलब सूरज ढलता है,
लगती अरमानों की बोली,
बिगड़ी सूरत अब हसरत की।
सम्भल के ........................
 मौसम ने अब करवट बदली,
सिर चढ़ के बोले है पैसा,
पैसे के आगे सब बौने,
रिश्ता हो चाहे भी जैसा,
"रैना" दिल के खेतों में अब,
खेती होती है नफरत की।
सम्भल के ........................"रैना"

Sunday, February 3, 2013

mne kbhi

मैंने कभी उसको नही देखा मगर,
एहसास होता साथ हरपल वो मिरे "रैना"

dur ja chuka hai tu

दूर हमसे तू चला ही जो गया "रैना"
रात मेरे ख्वाब में फिर किस लिये आया।"रैना"

indgi mehman

विरहा की मारी,
मैं बेचारी।
भटक रही हूँ प्यासी,
मेरे हिस्से में तड़फ।
तन्हाई ओ उदासी।
भीड़ बड़ी लगा मेला है,
सब का अपना दुःख झमेला है।
मेरा कोई भी जिकर नही ,
मेरी किसी को फिकर नही।
सब है अपनी मस्ती में,
आग लगी मेरी बस्ती में।
मैं तो बैठी रोती जाऊ,
छिन बिन सी होती जाऊ।
क्यों मेरी खबर नही लेता,
जिसकी मैं वो दुःख देता।
क्या ऐसे यहां से जाऊ गी,
पी के दर्शन न कर पाऊ गी।
यही कारण मेरी उदासी का,
फिर चक्कर वही चौरासी का।
काश दर्द मेरा वो जान जाये,
"रैना" मकसद पूरा सुख पाये। "रैना"

maa ki

दोस्तों आज के दिन 4फरवरी 1963 को
माँ की मेहरबानी से हमने रोशन जहान देखा था,
माँ को समर्पित दो लाइनें,

माँ की मेहरबानी से,रोशन ये दुनिया देखी,
वरना अन्धेरी नगरी,में अपना डेरा होता।"रैना"
माँ बाप के चरणों में शत शत प्रणाम,
सुप्रभात जी मेरे मालिक तेरी जय जय कर 

yad teri ne

दोस्तों इक और रचना
आप की खिदमत में पेश है।

दर्द जख्मों ने रुलाया ही बहुत है,
याद तेरी ने सताया ही बहुत है।
दिन महीने साल गुजरी है मुद्दते,
आज फिर तू याद आया ही बहुत है।
सोच करता ही नही कल रात होगी,
आदमी ने मन गिराया ही बहुत है।
हाल अपना ब्यान करता इश्क देखो।
हुस्न ने दिल को जलाया ही बहुत है।
खत्म होगा सिलसिला ये सोच कर ही,
दाग उल्फत का मिटाया ही बहुत है।
चाल गिरगट सी चले भ्रष्ट मसीहा,
आम जन मुर्ख बनाया ही बहुत है।
शाम"रैना"हो चली अब गौर कुछ कर,
लुत्फ़ जीवन का उठाया ही बहुत है।"रैना"



koi bdal sakta nhi

कोई बदल सकता नही तकदीर को,
किस्मत लिखी आती उसी के हाथ से।"रैना"

darad dil se juda

दोस्तों मेरी किताब
 की इक और ग़ज़ल

दरद दिल से जुदा नही होता,
आग लगती धुआ नही होता।
जख्म ऐसे नजर नही आते,
खून जमता रवा नही होता।
जानता वो नही दर्द क्या है,
प्यार जिसने किया नही होता।
इश्क में जिन्दगी फना होती,
बाग सूखा हरा नही होता।
लाख दावें करे फरेबी पर,
आदमी तो खुदा नही होता।
काश "रैना फर्ज निभा लेता,
हादसा ये हुआ नही होता। "रैना"

Saturday, February 2, 2013

hm musafir rah

हम मुसाफिर राह से भटके,
कर रहम मन्जिल मिले हमको। "रैना"
सुप्रभात जी ......... जय माता की।

kaise mile tujh dse

दोस्तों मेरी किताब की
इक और ग़ज़ल आप की नजर है
खैर ये मेरे जिगर का टुकड़ा है
आप को कैसी लगी बताना

कैसे मिले तुझसे बहाना ही नही,
गुलशन फकीरों का ठिकाना ही नही।
अक्सर मिली पीड़ा परेशानी तड़फ,
हमने ख़ुशी को घर दिखाना ही नही।
ये दिल खता करता यही डर है मुझे,
मन्जर हसीं दिल को दिखाना ही नही।
खुशबू महकती है उमर भर याद की,
बुत को गले से अब लगाना ही नही।
चार कन्धों पे जब चढ़े "रैना" चले,
फिर लौट के उसने कभी आना ही नही।"रैना"

Friday, February 1, 2013

maf krna

माफ़ करना ये शरारत नही,
तुम इबादत हो मुहब्बत नही,
पार हद को जोर कैसे करे,
ये जमाने की इजाजत नही।"रैना"

दोस्तों आप के लिए खास

यार मेरे खास हो तुम,
दूर फिर भी पास हो तुम।
मेरा दिल कुरबान तुझ पे,
हज दुआ अरदास हो तुम।
जिन्दगी तेरे हवाले,
आस भी विश्वास हो तुम।
चैन पल भर भी न दिल को,
वो तलब सी प्यास हो तुम।
काश "रैना"जान जाये,
जिन्दगी की सांस हो तुम।"रैना"

जख्म उल्फत ने दिया ऐसा तो,
फिर कभी सोचा नही  इस बारे।"रैना"


जब हम ग़ज़ल,शेर लिखते है तो बहर में लिखते है।
कविता में मात्राओं का पूरा ध्यान रखा जाता है
 आजकल खुली कविता भी   है