दोस्तों कविता का नया रंग देखे
दिल टूटा ये कहना भूल है,
आइना भी नही ना फूल है।
तीर दिल पे लगे मर जाये,
नजर तीर नही चुबे शुल है।
आज के आशिक ये कहते,
पाक इश्क करना फिजूल है।
जो पाक मुहबत कर बैठे,
उनकी कब्रों पे उडती धूल है।
इस दौर की सोच ही उलटी,
वो पागल जो बाअसूल है।
गुस्सा भी बड़ी इक बीमारी,
तभी "रैना" तो रहता कूल है।"रैना"
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