दोस्तों गज़ल का असर
दिल पर हो जरुर बताना
कलम और पैनी करेगे।
मेहरबानी जी,
दिल लगाने की खता हो गई,
जिन्दगी अपनी सजा हो गई।
इश्क भी अब बेवफा कम नही,
हुस्न की फितरत दगा हो गई।
दोस्तों पे नाज करते नही,
दोस्ती भी अब कजा हो गई।
राज दिल का खोलते ही नही,
ये जमाने की अदा हो गई।
दर्द रांझा अब दिखाये किसे,
हीर उसकी बेवफा हो गई।
खत्म"रैना"जिन्दगी का सफर,
मौत अपनी हमनवा हो गई।"रैना"
दिल पर हो जरुर बताना
कलम और पैनी करेगे।
मेहरबानी जी,
दिल लगाने की खता हो गई,
जिन्दगी अपनी सजा हो गई।
इश्क भी अब बेवफा कम नही,
हुस्न की फितरत दगा हो गई।
दोस्तों पे नाज करते नही,
दोस्ती भी अब कजा हो गई।
राज दिल का खोलते ही नही,
ये जमाने की अदा हो गई।
दर्द रांझा अब दिखाये किसे,
हीर उसकी बेवफा हो गई।
खत्म"रैना"जिन्दगी का सफर,
मौत अपनी हमनवा हो गई।"रैना"
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