दोस्तों फिर लिखने बैठा ग़ज़ल पेश है,
इश्क का अब मचा शोर है,
दिल यहां आंख उस और है।
क्यों गिला तू करे किस लिये,
चल पड़ा बेवफा दौर है।
कौन देगा गवाही बता,
खौफ दिल में बसा चोर है।
आज मतलब बड़ा हो गया,
सच वफा ढूँढ़ती ठोर है।
आदमी पिस रहा निरन्तर,
चैन पल भर नही गौर है।
रैन दिन है तड़फ बेबसी,
नाच कर रो रहा मोर है।"रैना"
इश्क का अब मचा शोर है,
दिल यहां आंख उस और है।
क्यों गिला तू करे किस लिये,
चल पड़ा बेवफा दौर है।
कौन देगा गवाही बता,
खौफ दिल में बसा चोर है।
आज मतलब बड़ा हो गया,
सच वफा ढूँढ़ती ठोर है।
आदमी पिस रहा निरन्तर,
चैन पल भर नही गौर है।
रैन दिन है तड़फ बेबसी,
नाच कर रो रहा मोर है।"रैना"
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