Monday, February 11, 2013

shuru kr de dil

दोस्तों इक और गीत हम सब के लिए।

चाहे तीरथ कर मत छोड़े खाना,
गर तूने है वो असली सुख पाना,
क्यों समझे तू अपने को बेगाना,
शुरू  कर दे मन के घर आना जाना।
शुरू कर दे ......................
तुझको इस दर उस दर है क्या मिलना,
इस पतझड़ के गुल का मुश्किल खिलना,
जलता दीपक "रैना" बन परवाना।
शुरू करदे ...................................."रैना"
सुप्रभात जी ............जय मेरे मालिक

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