दोस्तों आप के लिय खास रचना तव्वजो चाहुगा
राहे -इश्क पे चलना दामन बचा बचा के,
बैठे जमाने वाले अब फन्दें लगा लगा के।
इंसान की फितरत में अब फरेब शामिल,
दिल लगाये हंस के तोड़े आंसू बहा बहा के।
मयखाने में आते रिंद खुद को मिटाने वाले,
आशिक न इक भी माने हारे बता बता के।
ये इश्क देखिये तो किस दर्जा हुआ दीवाना,
वो रूठे यार को मनाये नाच दिखा दिखा के।
अर्ज"रैना"की तू सुन ले अब मेरे प्यारे मौला,
अपनें कदम में रख ले अपना गधा बना के।"रैना"
राहे -इश्क पे चलना दामन बचा बचा के,
बैठे जमाने वाले अब फन्दें लगा लगा के।
इंसान की फितरत में अब फरेब शामिल,
दिल लगाये हंस के तोड़े आंसू बहा बहा के।
मयखाने में आते रिंद खुद को मिटाने वाले,
आशिक न इक भी माने हारे बता बता के।
ये इश्क देखिये तो किस दर्जा हुआ दीवाना,
वो रूठे यार को मनाये नाच दिखा दिखा के।
अर्ज"रैना"की तू सुन ले अब मेरे प्यारे मौला,
अपनें कदम में रख ले अपना गधा बना के।"रैना"
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