वैल्टाईन दिवस पर इक खुली कविता "कड़वा सच"
पहले हम वैल्टाईन दिवस कभी नही मानते थे,
फिर भी प्यार के रिश्तें बड़ी शिद्दत से निभाते थे,
अब वैल्टाईन दिवस तो बड़ी शिद्दत से मना रहे है,
प्यार के रिश्तों से मतलबवस कोसो दूर जा रहे है,
फिर हम वैल्टाईन दिवस का क्यों शोर मचा रहे है,
"रैना"अपनी संस्कृति को क्यों आघात पंहुचा रहे है।"रैना"
पहले हम वैल्टाईन दिवस कभी नही मानते थे,
फिर भी प्यार के रिश्तें बड़ी शिद्दत से निभाते थे,
अब वैल्टाईन दिवस तो बड़ी शिद्दत से मना रहे है,
प्यार के रिश्तों से मतलबवस कोसो दूर जा रहे है,
फिर हम वैल्टाईन दिवस का क्यों शोर मचा रहे है,
"रैना"अपनी संस्कृति को क्यों आघात पंहुचा रहे है।"रैना"
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