Friday, February 1, 2013

maf krna

माफ़ करना ये शरारत नही,
तुम इबादत हो मुहब्बत नही,
पार हद को जोर कैसे करे,
ये जमाने की इजाजत नही।"रैना"

दोस्तों आप के लिए खास

यार मेरे खास हो तुम,
दूर फिर भी पास हो तुम।
मेरा दिल कुरबान तुझ पे,
हज दुआ अरदास हो तुम।
जिन्दगी तेरे हवाले,
आस भी विश्वास हो तुम।
चैन पल भर भी न दिल को,
वो तलब सी प्यास हो तुम।
काश "रैना"जान जाये,
जिन्दगी की सांस हो तुम।"रैना"

जख्म उल्फत ने दिया ऐसा तो,
फिर कभी सोचा नही  इस बारे।"रैना"


जब हम ग़ज़ल,शेर लिखते है तो बहर में लिखते है।
कविता में मात्राओं का पूरा ध्यान रखा जाता है
 आजकल खुली कविता भी   है 

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