Saturday, February 23, 2013

koi rch rha

वादा किया फिर भी निभा न पाये
हमदम उसे अपना बना न पाये,
यूं ख्वाब अक्सर देखते रहे हैं,
इक ख्वाब भी पर हम सजा न पाये।"रैना"

अरे बम फोड़ने से क्या होगा,
हम एक है एक रहेगे,
सोच ले हमारे नेता सुधर गये
तेरा क्या हश्र  होगा।"रैना"

इस हल्की फुलकी
कविता को देखिये जी

बस दिल की दुकान बंद है,
वैसे तो बहुत ही आनन्द है,
 बस बीवी से नही बनती,
 बेशक होता रोज द्वद है।
देश सोने की चिड़िया पर,
नेताओं ने फैलाया गंद है।
हिंदी के हम धुरंधर कवि,
लिखना न आता छंद है।
गीत,ग़ज़ल,दोहे शेर पढ़ो,
ये अपनी अपना पसंद है।"रैना"



No comments:

Post a Comment