Thursday, February 28, 2013

teri inayat

दोस्तों सुबह की पहली
 ग़ज़ल यार की खिदमत में,

तेरी इनायत कम नही,
यूं बावफा तो हम नही।
क्या खूब है रहमत तिरी,
है आंख मेरी नम नही।
मर्जी करे अपनी कभी,
आदमी में ये दम नही।
हरपल तुझे तो ख्याल है,
बस याद करते हम नही।
होता गिला तुझसे यही,
बरसे ख़ुशी हरदम नही।
"रैना"कभी तू सोच ले,
तेरी खता भी कम नही।"रैना"
सुप्रभात जी ........जय जय माँ

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