मेरी अपनी बात
अक्सर कलम को तोड़ता ही रहा,
अल्फाज बिखरे जोड़ता ही रहा,
लिखना इबादत बन्दगी है धर्म,
मैं राज दिल के खोलता ही रहा।"रैना"
अक्सर कलम को तोड़ता ही रहा,
अल्फाज बिखरे जोड़ता ही रहा,
लिखना इबादत बन्दगी है धर्म,
मैं राज दिल के खोलता ही रहा।"रैना"
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