मज़बूरी
अब किसी आफिस में???
काम करवाने के लिए जाने से पहले,
ये जान ले ????
आफिस की खिड़कियाँ कितनी है,
काम करवाने में आसानी होगी।"रैना"
घोर काली रात है,
दोस्तों के नाम खुली कविता सेमी ग़ज़ल
लगता वही से सीख के आ रहे,
अब तो बच्चें भी टंका लगा रहे,
कैसे करे बड़ों का मान सम्मान,
देखते भी ऐसा ही अन्न खा रहे।
मास्टर भी परेशान अब क्या करे,
बच्चें तो उल्टा उसी को पढ़ा रहे।
हम आदिवासी थे करने लगे सिद्द,
तभी तन से कपड़े घटते जा रहे।
औरों को देते खूब सलाह मशवरा,
"रैना"खुद को कभी न समझा रहे "रैना"
अब किसी आफिस में???
काम करवाने के लिए जाने से पहले,
ये जान ले ????
आफिस की खिड़कियाँ कितनी है,
काम करवाने में आसानी होगी।"रैना"
घोर काली रात है,
दोस्तों के नाम खुली कविता सेमी ग़ज़ल
लगता वही से सीख के आ रहे,
अब तो बच्चें भी टंका लगा रहे,
कैसे करे बड़ों का मान सम्मान,
देखते भी ऐसा ही अन्न खा रहे।
मास्टर भी परेशान अब क्या करे,
बच्चें तो उल्टा उसी को पढ़ा रहे।
हम आदिवासी थे करने लगे सिद्द,
तभी तन से कपड़े घटते जा रहे।
औरों को देते खूब सलाह मशवरा,
"रैना"खुद को कभी न समझा रहे "रैना"
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