Monday, September 2, 2013

मां के प्यारों के लिए

ठन्ठे झरने का जल होता
मां का प्यार निश्छल होता।
मां के प्यार के दरिया का,
कोई भी न साहिल होता।
मां की मुहब्बत का खजाना,
जाहिल को न हासिल होता।
खुदा ने बख्शी ये नयामत,
इन्सां कब इस काबिल होता।
सच्चा इश्क इबादत यारों, 
धोखा फरेब न शामिल होता।
करामात कुदरत की "रैना"
फूल सा मां का दिल होता। राजेन्द्र रैना गुमनाम"
सुप्रभात जी    ……जय जय मां

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