देखो तो प्रधानमंत्री कितने डर रहे है,
मां के सामने बेटे के कसीदे पढ़ रहे है,
कुछ का कहना दाल में कुछ काला है,
मस्का लगा के कुर्सी पक्की कर रहे है। गुमनाम "
मां के सामने बेटे के कसीदे पढ़ रहे है,
कुछ का कहना दाल में कुछ काला है,
मस्का लगा के कुर्सी पक्की कर रहे है। गुमनाम "
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