Sunday, September 22, 2013

teri mhfil me

उसकी महफ़िल में शामिल कर,
तू खुद को इतना काबिल कर।
दिल तो गुल है गुल रहने दे,
दिल को पत्थर मत जाहिल कर।
अब दुनिया चलती है चालें,
गर बचना खुद को कामिल कर।
तारा बन के तब चमके गा,
जो मुश्किल उसको हासिल कर।
भटकी लहरें ढूंढ़ती तुझको,
"रैना"तू खुद को साहिल कर। राजेन्द्र रैना"गुमनाम"
सुप्रभात जी  ……………जय जय मां
कामिल=होशियार 

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