दोस्तों मेरी रचना गौर से पढ़ा करो
मैं लिखता नही इबादत करता हूं
रास्ते में तो उदासी सी छाई है,
संभल कर चलने में भलाई है।
लुटेरों पे हत्या का शक लेकिन,
सच ये भाई का कातिल भाई है।
फसने के बाद नेता,बाबा कहते,
ये तो किसी ने साजिश रचाई है।
नारी पे बुरी नजर डालने वाले ने,
अपनी लंका तो खुद ही जलाई है।
द्रोपदी की लाज कृष्ण बचा लेगा,
पर दुर्योधन की जान न बच पाई है।
उठो भारत देश के वीर नौजवानों,
देखो दुश्मन ने फिर आंख उठाई है।
मत खींचो महजब जात की लकीरें,
"रैना"हर हिन्दुस्तानी भाई भाई है।राजेन्द्र रैना "गुमनाम"
मैं लिखता नही इबादत करता हूं
रास्ते में तो उदासी सी छाई है,
संभल कर चलने में भलाई है।
लुटेरों पे हत्या का शक लेकिन,
सच ये भाई का कातिल भाई है।
फसने के बाद नेता,बाबा कहते,
ये तो किसी ने साजिश रचाई है।
नारी पे बुरी नजर डालने वाले ने,
अपनी लंका तो खुद ही जलाई है।
द्रोपदी की लाज कृष्ण बचा लेगा,
पर दुर्योधन की जान न बच पाई है।
उठो भारत देश के वीर नौजवानों,
देखो दुश्मन ने फिर आंख उठाई है।
मत खींचो महजब जात की लकीरें,
"रैना"हर हिन्दुस्तानी भाई भाई है।राजेन्द्र रैना "गुमनाम"
No comments:
Post a Comment