Sunday, September 8, 2013

सिध्धा सध्धा खाणा छोड़ दिया,
तैने दोपहरी का नहाना छोड़ दिया,
रै हरियाणवी तो तेरी मातृ भाषा,
तैने क्यों रागनी गाणा छोड़ दिया। राजेन्द्र "रैना"

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