दोस्तों सुनो गे ग़ज़ल तो लो
इश्क में यूं पागल न होना,
तू लहर का साहिल न होना।
जब उठे गा मेरा जनाजा,
तू गमी में शामिल न होना।
लोग करते बेकार बातें,
तू कभी यूं जाहिल न होना।
तीर नजरों के तेज होते,
गौर करना घायल न होना।
बात उठती तो दूर जाती,
पार हद से कामिल न होना।
आज "रैना" हैरान सा है,
अखरता है काबिल न होना।
कामिल =होशियार
No comments:
Post a Comment