Thursday, September 5, 2013

chhup chhup rhta

छुप छुप के रहता,न दिल की कहता।
क्या मजबूरी,क्यों रखी दूरी,
तेरा मेरा सजना मिलन जरूरी,
कम कर दूरी अब कम कर  ……
कहने को साथ रहता हरपल पास है,
नजर न आये तू मोरा मनवा उदास है,
सारे शहर में है बस तेरी मशहूरी।
यही हिया तमन्ना आस कर पूरी।
कम कर दूरी अब कम कर  ……
ऐसा उलझाया मैं परेशान हो गया,
सूरत अपनी देख कर हैरान हो गया,
मैं भटकता हूं जैसे मृग कस्तूरी।
 कम कर दूरी अब कम कर  ……
सुप्रभात जी   …………जय जय मां
  

No comments:

Post a Comment