दोस्तों के लिए खास तोहफा
नफरत की आग में सारा शहर जल रहा,
सियासतदानों का देखिये चूल्हा जल रहा।
बदले दौर में इन्सान ने फितरत बदल ली,
हर दिल में नफरत का बच्चा पल रहा।
चोर डाकूओं की अब तो कमी नही कोई,
निसंदेह इन्सान खुद को खुद ही छल रहा।
यूं गिरगट को ये दोष हरगिज न दीजिये,
वक्त के मुताबिक इन्सान चोंगा बदल रहा।
ज्वालामुखी अभी फटा नही चढ़ा तापमान,
चट्टान पूछती क्यों भला पत्थर पिघल रहा,
हासिल कुछ न होगा तुझे बरबादी के सिवा,
"गुमनाम"तू अब जिस रास्ते पे है चल रहा। राजेन्द्र रैना"गुमनाम"
नफरत की आग में सारा शहर जल रहा,
सियासतदानों का देखिये चूल्हा जल रहा।
बदले दौर में इन्सान ने फितरत बदल ली,
हर दिल में नफरत का बच्चा पल रहा।
चोर डाकूओं की अब तो कमी नही कोई,
निसंदेह इन्सान खुद को खुद ही छल रहा।
यूं गिरगट को ये दोष हरगिज न दीजिये,
वक्त के मुताबिक इन्सान चोंगा बदल रहा।
ज्वालामुखी अभी फटा नही चढ़ा तापमान,
चट्टान पूछती क्यों भला पत्थर पिघल रहा,
हासिल कुछ न होगा तुझे बरबादी के सिवा,
"गुमनाम"तू अब जिस रास्ते पे है चल रहा। राजेन्द्र रैना"गुमनाम"
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