Wednesday, September 4, 2013

 दोस्तों खास युवाओं को ध्यान में रख कर लिखा 
              गीत 
मन की कली जब खिलने लगे,
दिल किसी दिल से मिलने लगे,
छोड़ दिल को दिमाग से काम लेना,
बिन सोचे समझे न दामन थाम लेना।
बिन सोचे   …………… 
इश्क की आग ने जलाये लाखो दिल,
इस शहर में रहते अब जाहिल कातिल,
कौवें हंसों में आजकल हुये शामिल, 
भीड़ में भी तन्हाई सम्भल के चल,
 सिर पे बेवजह न तू  इल्जाम लेना। 
बिन सोचे  ……………… राजेन्द्र रैना "गुमनाम"

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