दोस्तों देखना मेरा ये अंदाज
दिल टूटा पीड़ उठे रोते रात भर,
उनकी अदा देखो सोते रात भर।
दिन दिहाड़े लूटा बीच बाजार में,
गम से दो चार हम होते रात भर।
गुजरे लम्हें याद करके अक्सर,
आंसूओं से आंखे भिगौते रात भर।
गल्ती से जब कभी आंख लगती,
सपनों में फिर वो आते रात भर।
दुनिया को जल्दी अलविदा कहदे,
रैना"गम का भार जो ढोते रात भर। राजेन्द्र रैना गुमनाम"
दिल टूटा पीड़ उठे रोते रात भर,
उनकी अदा देखो सोते रात भर।
दिन दिहाड़े लूटा बीच बाजार में,
गम से दो चार हम होते रात भर।
गुजरे लम्हें याद करके अक्सर,
आंसूओं से आंखे भिगौते रात भर।
गल्ती से जब कभी आंख लगती,
सपनों में फिर वो आते रात भर।
दुनिया को जल्दी अलविदा कहदे,
रैना"गम का भार जो ढोते रात भर। राजेन्द्र रैना गुमनाम"
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