Saturday, September 21, 2013

tujhse milne ki hasrat

दोस्तों के लिए ग़ज़ल

तुझसे मिलने की हसरत है,
जारी अपनी भी कसरत है।
सच से अपना रिश्ता नाता,
झूठे से हमको नफरत है।
मतलब के खातिर जी कहना,
ये तो इन्सां की फितरत है।
जीने की कोशिश जारी है,
यूं मरने की कब फुरसत है।
साकी मिलने दे नजरों को,
अपनी पीने की आदत है।
"रैना"अपनी ही ये गल्ती,
जो आई ऐसी नौबत है। राजेन्द्र रैना"गुमनाम"
   

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