दोस्तों के लिए ग़ज़ल
तुझसे मिलने की हसरत है,
जारी अपनी भी कसरत है।
सच से अपना रिश्ता नाता,
झूठे से हमको नफरत है।
मतलब के खातिर जी कहना,
ये तो इन्सां की फितरत है।
जीने की कोशिश जारी है,
यूं मरने की कब फुरसत है।
साकी मिलने दे नजरों को,
अपनी पीने की आदत है।
"रैना"अपनी ही ये गल्ती,
जो आई ऐसी नौबत है। राजेन्द्र रैना"गुमनाम"
तुझसे मिलने की हसरत है,
जारी अपनी भी कसरत है।
सच से अपना रिश्ता नाता,
झूठे से हमको नफरत है।
मतलब के खातिर जी कहना,
ये तो इन्सां की फितरत है।
जीने की कोशिश जारी है,
यूं मरने की कब फुरसत है।
साकी मिलने दे नजरों को,
अपनी पीने की आदत है।
"रैना"अपनी ही ये गल्ती,
जो आई ऐसी नौबत है। राजेन्द्र रैना"गुमनाम"
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