खासकर युवा वर्ग को समर्पित मेरी ये रचना
जो बच्चे मां बाप की सेवा करते,
बेशक वो हर हाल में आगे बढ़ते।
धुन के पक्के असफल नही होते,
जो दुःख सहते मेहनत से पढ़ते।
मन के हारे हार मन के जीते जीत,
हिम्मत वाले ही ऊंची चढ़ाई चढ़ते।
गम का मिजाज रोक लेता रास्ता,
मंजिल के दीवाने गम से न डरते।
गद्दारों का काम उन्माद फैलाना,
वफादार मां के बेटे सीमा पर लड़ते।
गौरे छोड़ गये तमाम अंग्रेज काले,
छोड़ भलाई वो तो सब कुछ करते।
गुमनाम"कुछ करके ही दम लेगे,
उनसे कह दो अभी हम नही मरते। राजेन्द्र रैना गुमनाम"
जो बच्चे मां बाप की सेवा करते,
बेशक वो हर हाल में आगे बढ़ते।
धुन के पक्के असफल नही होते,
जो दुःख सहते मेहनत से पढ़ते।
मन के हारे हार मन के जीते जीत,
हिम्मत वाले ही ऊंची चढ़ाई चढ़ते।
गम का मिजाज रोक लेता रास्ता,
मंजिल के दीवाने गम से न डरते।
गद्दारों का काम उन्माद फैलाना,
वफादार मां के बेटे सीमा पर लड़ते।
गौरे छोड़ गये तमाम अंग्रेज काले,
छोड़ भलाई वो तो सब कुछ करते।
गुमनाम"कुछ करके ही दम लेगे,
उनसे कह दो अभी हम नही मरते। राजेन्द्र रैना गुमनाम"
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