Thursday, September 16, 2010

यादों का सहारा

गर तेरी यादों का सहारा नही होता,
फिर तो अपना भी गुजारा नही होता.
तेरे वादों ने ही  हमे जिन्दा रखा,
वर्ना ये चमकता सितारा नही होता.
गर मुसीबत कही दूर जा बसती,
तो हर शख्स यूँ बेचारा नही होता,
गर होते न हुस्न के हसीन जलवे,
 मस्त मौसम दिलकश नजारा नही होता.
मेरा जीना भी हो जाता मुशिकल,
गर उसका इशारा नही होता.
"रैना"उसकी नजरे इनायत है,
वर्ना कुछ भी हमारा नही होता.
राजिंदर "रैना"

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