ओ मेरे देश की धरती,
अनाज उगले करोड़ो टन,
जनता फिर भी भूखी मरती.
ओ मेरे देश की धरती--------
अब दूर दूर कही खेतों में,वो बैल नजर नही आते है,
फिर जीवन की क्या बात करे,इंसां मूली से काटे जाते है,
कही धर्म के नाम लड़े जनता,कही जाति के नाम है लड़ती.
औ मेरे देश की धरती---------------
आ दूजे देश से आतंकी, निर्दोषों का खून बहाते है,
फिर भी अफजल से आतंकवादी,बंद जेल में पूजे जाते है,
अब खोले खून शहीदों का, क्यों सरकार ये कुछ नही करती.
ओ मेरे देश की धरती-------------
बेलगाम हुई बेरोक टोक, महंगाई छलांगे लगाती है,
दुखी परेशान सहमी जनता,भर पेट न खाना खाती है.
वादे झूठे अश्वासन है,अब बात न कोई बनती.
अ मेरे देश की धरती------------------
अब फैशन का है भूत चढ़ा,हम लाँघ गये हद है सारी,
सब भूले अपनी सस्कृति,नगे नच रहे है नर,नारी,
कैसे माफ़ करे भारत माता,"रैना" करे गलती पर गलती.
ओ मेरे देश की धरती-------------------------
राजिंदर "रैना"
Monday, July 19, 2010
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