रोने से मसले होते न हल,
कोशिश अक्सर होती सफल.
किस्मत पर तो कर्म है भारी,
अन्धविश्वास से बाहर निकल.
चढ़ती जवानी गुमां न कीजे,
शाम के मान्निद जाये गी ढल.
कहने को जिन्दगी सौ वर्ष की,
सही मयानों में पल दो पल.
जो भी होना आज ही होगा,
कुछ भी होना नही है कल.
चार दिनों का खेल है सारा,
गम की आग में यूँ न जल.
"रैना" जिन्दगी हसीं बना ले,
चलते है घर यार के चल.
राजिंदर "रैना"
Sunday, June 27, 2010
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