उससे मिलन होगा हरगिज आस नही है,
उसके घर का पता किसी के पास नही है।
वक्त की चक्की तो एकदम निरंतर चलती,
सबको बारीक़ पीसे कोई भी खास नही है।
सब मोह माया में उलझे पैसे के पीछे दौड़े,
ऐसा नजर न आता जिसको प्यास नही है।
हम जेब किसी की काटे मजबूरी है लेकिन,
ये हराम की कमाई हमें आती रास नही है।
हम भरोसा किसी पे अब कैसे कर ले यारों,
आज के इन्सां को खुद पे विश्वास नही है।
"रैना"काटने पे आमादा लगाने से गुरेज है,
पेड़ जीवन दाता हमें क्यों एहसास नही है।राजेन्द्र रैना गुमनाम
सुप्रभात जी। …………जय जय मां
उसके घर का पता किसी के पास नही है।
वक्त की चक्की तो एकदम निरंतर चलती,
सबको बारीक़ पीसे कोई भी खास नही है।
सब मोह माया में उलझे पैसे के पीछे दौड़े,
ऐसा नजर न आता जिसको प्यास नही है।
हम जेब किसी की काटे मजबूरी है लेकिन,
ये हराम की कमाई हमें आती रास नही है।
हम भरोसा किसी पे अब कैसे कर ले यारों,
आज के इन्सां को खुद पे विश्वास नही है।
"रैना"काटने पे आमादा लगाने से गुरेज है,
पेड़ जीवन दाता हमें क्यों एहसास नही है।राजेन्द्र रैना गुमनाम
सुप्रभात जी। …………जय जय मां
No comments:
Post a Comment