तुम मेरे दिल में रहते,
फिर क्यों कुछ न कहते
सनम बेदर्दी बेरूखी तेरी,
आँखों से दरिया हैं बहते।
कभी आके हाल तो पूछो,
पर्वत सा दुःख हम सहते।
बैठे तन्हा उफ़ नही करते,
ढह ले जितने गम ढहते।
फिर क्यों कुछ न कहते
सनम बेदर्दी बेरूखी तेरी,
आँखों से दरिया हैं बहते।
कभी आके हाल तो पूछो,
पर्वत सा दुःख हम सहते।
बैठे तन्हा उफ़ नही करते,
ढह ले जितने गम ढहते।
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