Monday, August 26, 2013

sunle prani bawle

सुन ले प्राणी बावले,मत न कर उत्पात,
जानवर तो तू नही,है मानष की जात।
कर ले प्रयत्न कुछ बिगड़ी बन जाये बात,
वरना तू पछतायेगा जब होगी काली रात।
मोह माया में मत उलझ मन के द्वारे खोल,
तोड़ दे बंधन दीवारें साईं से कर मुलाकात।
उसका दामन पकड़ ले दर दर यूं मत डोल,
तेरे जीवन में हो फिर खुशियों की बरसात।
अपना कोन बेगाना मुश्किल बड़ा सवाल,
गोर से देख तो भेडियें बैठे लगा कर घात।
"रैना"मीरा के जैसे तू मन के जोड़ ले तार,
गुप काली वो रात भी फिर हो जाये शुभरात। राजेन्द्र रैना "गुमनाम"
सुप्रभात जी  …………………जय जय मां    

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