Saturday, August 31, 2013

daur hi kuchh aesa

दौर आकुछ ऐसा बहकी हुईया  जवानी है,
बच्चों की नादानी मां बाप की परेशानी है।
अब सवाल से पहले ही करारा जवाब देते,
कहने को तो नई पीड़ी बहुत ही सयानी है।
इश्क क्या जाने न पर रंगे इश्क के रंग में,
तभी मायूस रांझा हीर की आंखों में पानी है।
हवा में उड़ने वालो सोच समझ लो इतना,
इक दिन मिट्टी ये मिट्टी में मिल जानी है।
खान पान रहन सहन में इतना फर्क आ गया,
दहोती बूढ़ी लगती और जवां लगती नानी है।   

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