दोस्तों एक बार पढ़ना जरुर
दुनिया ने प्यार की परिभाषा जानी नही,
प्यार तो रूहानी होता है जिस्मानी नही।
इश्क उतर जाता रूह की गहराइयों तक,
बेशक मीरा दीवानी थी मस्तानी नही।
गौर करना सदकर्मों से ही होती हासिल,
यूं खैरात में तो मिलती जिन्दगानी नही।
गिरगट की तरह जो निरंतर रंग बदलता,
वो इन्सान हरगिज होता खानदानी नही।
जरूरत हो तो खर्च बेवजह बरबाद न कर,
अब तो धरती के नीचे भी बचा पानी नही।
हिम्मत से फतह की जाती जंग ए जिंदगी,
जंग तलवार से लड़ी जाती है जुबानी नही।
जंगल में शांति बनाये रखना हमारा ही फर्ज,
भेड़िये गिद्दो ने तो रहमदिली दिखानी नही।
गुमनाम"की गुजारिश हम सब हो जाये एक,
नेताओं के कहने से करनी कोई नादानी नही। राजेन्द्र रैना "गुमनाम'
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