Wednesday, August 28, 2013

ik muddt se bekrar ham bhi

इक मुद्दत से बेकरार हम भी हैं,
वक्त की मार लाचार हम भी हैं,
कलम से है गहरा रिश्ता अपना,
उसके आशिक बीमार हम भी हैं। राजेन्द्र रैना "गुमनाम"
सुप्रभात जी  ………. जय जय मां















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