इक मुद्दत से बेकरार हम भी हैं,
वक्त की मार लाचार हम भी हैं,
कलम से है गहरा रिश्ता अपना,
उसके आशिक बीमार हम भी हैं। राजेन्द्र रैना "गुमनाम"
सुप्रभात जी ………. जय जय मां
वक्त की मार लाचार हम भी हैं,
कलम से है गहरा रिश्ता अपना,
उसके आशिक बीमार हम भी हैं। राजेन्द्र रैना "गुमनाम"
सुप्रभात जी ………. जय जय मां
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