Sunday, January 30, 2011

intjar

जिन्दगी का हर लम्हा खुबसुरत है,
जब से मन में बसी उसकी सुरत है.
हरपल तलब है उसके दीदार की,
इंतजार कब होना शुभ मुहूर्त है. "रैना"

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