Friday, July 27, 2012

diya to sab kuchh

दिया सबकुछ मगर कुछ फर्क छोड़ा,
हँसा हँसा के तुने नाजुक दिल  तोड़ा.
गिला तुझसे भला हम करते भी  कैसे,
तेरी मेहरबानी जो गम से रिश्ता जोड़ा।"रैना"

5 comments:

  1. सुन्दर पंक्तियाँ

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  2. बहुत खूब रैना जी

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  3. हंस रहे हैं और दिल तुड़ा रहे हैं
    रैना जी एक नयी किस्म दिल
    की ला कर दिखा रहे हैं !!
    बहुत खूब !

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