Monday, December 31, 2012

2012

2012 तू जा रहा है,
2013 तू आ रहा है,
क्या 12 से 13 में फर्क होगा,
या 12 की तरह बेडा गर्क होगा।
वही भुखमरी भ्रष्टाचार हा हाकार,
आम जन मानष,अबला लाचार।
क्या नेताओं की नींद टूटे गी,
या यूँ ही रेल छूटे गी।
जैसे आज 2012 की रेल छूटे गी।
मेरे भगवन 2013 में कुछ ऐसा करदे,
हर किसी की मुराद पूरी झोली भर दे।
खैर हम मालिक से करते है फरियाद,
नये साल में हो????????
आप के ख्वाबों का शहर आबाद।"रैना"

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