जनता में पनपा रोष,
सरकार है खामोश,
क्या यही लोकतंत्र है।
किसको दे अब दोष,
यही तो है अफ़सोस,
खुद पे न नियन्त्र है।
चम्मचों के राज में,
चुगलखोरों की मौज,
देश में अब नेतातंत्र है।"रैना"
सरकार है खामोश,
क्या यही लोकतंत्र है।
किसको दे अब दोष,
यही तो है अफ़सोस,
खुद पे न नियन्त्र है।
चम्मचों के राज में,
चुगलखोरों की मौज,
देश में अब नेतातंत्र है।"रैना"
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